संसद पर हमले की 24वीं बरसी : पीएम मोदी, अमित शाह, राहुल गांधी ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली : आज भारतीय संसद हमले की 24वीं बरसी है। 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर आतंकियों ने हमला किया था। उन्होंने एक खतरनाक मंसूबे के साथ संसद पर धावा बोला था लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने अपने अदम्य साहस के बल पर आतंकियों के हमले को नाकाम कर दिया। संसद पर हमले की बरसी पर उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, नेता विपक्ष राहुल गांधी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने शहीदों को याद कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

सर्वोच्च बलिदान के लिए देश आभारी : पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘इस दिन, हमारा देश उन लोगों को याद करता है जिन्होंने 2001 में हमारी संसद पर हुए भयानक हमले के दौरान अपनी जान दे दी थी। गंभीर खतरे का सामना करते हुए, उनकी हिम्मत, सतर्कता और कर्तव्य के प्रति अटूट भावना कमाल की थी। भारत उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा उनका आभारी रहेगा।’

त्याग व बलिदान के लिए देश सदैव ऋणी रहेगा : गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- ‘आज का दिन आतंकवाद के खिलाफ हमारे सुरक्षा बलों के उस अदम्य शौर्य व साहस को फिर से स्मरण करने का दिन है, जब वर्ष 2001 में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर, हमारे संसद भवन पर हुए कायराना आतंकी हमले को उन्होंने अपने जज्बे से नाकाम किया। आतंकियों को मुँहतोड़ जवाब देते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले सुरक्षा बलों के जवानों को नमन करता हूँ। यह राष्ट्र वीर सेनानियों के त्याग व बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा।

यह बलिदान हमेशा याद रखेगा : नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा- संसद भवन पर 2001 में हुए दुस्साहसी आतंकवादी हमले के दौरान देश के सम्मान की रक्षा करने वाले शहीद जवानों को कोटि कोटि नमन और विनम्र श्रद्धांजलि। भारत आपका यह बलिदान हमेशा याद रखेगा और इससे देशप्रेम की प्रेरणा लेता रहेगा।

बता दें कि 2001 में 13 दिसंबर की सुबह आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था। देश की राजधानी के बेहद महफूज माने जाने वाले इलाके में शान से खड़े संसद भवन में घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर कार का इस्तेमाल किया। आतंकवादी संसद की सुरक्षा में तैनात जवानों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहे और कैंपस के अंदर दाखिल हो गए। लेकिन उनके कदम लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र कर पाते उससे पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया।