नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सुधाकर दलेला ने कहा कि भारत और ग्लोबल साउथ से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को जी-20 शिखर सम्मेलन में मजबूती से उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेताओं की घोषणा (लीडर्स डिक्लेरेशन) में क्या शामिल होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन भारत की प्राथमिकताओं को पूरा महत्व मिलेगा।
यह लगातार चौथा वर्ष है जब जी-20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ के किसी देश में हो रहा है। दलेला ने बताया कि पहली बार यह सम्मेलन अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित हो रहा है, जिससे अफ्रीका और विकासशील देशों के मुद्दों पर वैश्विक ध्यान बढ़ेगा। गौरतलब है कि 2023 में नई दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता मिली थी। दक्षिण अफ्रीका इस वर्ष समूह की अध्यक्षता कर रहा है और 20वां शिखर सम्मेलन जोहानसबर्ग में होगा।
प्रधानमंत्री मोदी 21 से 23 नवंबर तक वहां रहेंगे। उनके कई द्विपक्षीय कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं, जिनके विवरण तय किए जा रहे हैं। दलेला ने बताया कि यह प्रधानमंत्री की दक्षिण अफ्रीका की चौथी आधिकारिक यात्रा होगी। इससे पहले वह 2016 में द्विपक्षीय यात्रा और 2018 व 2023 में ब्रिक्स सम्मेलन के लिए गए थे। ब्यूरो
दलेला कहा कि दक्षिण अफ्रीका का अध्यक्षीय वर्ष ‘सॉलिडेरिटी, इक्वलिटी, सस्टेनेबिलिटी’ थीम पर आधारित है। इस दौरान चार प्रमुख प्राथमिक क्षेत्रों को सामने रखा गया है, जिनका लक्ष्य विकासशील देशों की जरूरतों को वैश्विक एजेंडे में शामिल करना है। भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, खाद्य सुरक्षा और ऋण स्थिरता जैसे मुद्दों पर जोर दिया था। दलेला ने कहा कि इन विषयों को वर्षभर की बैठकों में खास तवज्जो मिली है और उम्मीद है कि शिखर घोषणा पत्र में भी इनका उल्लेख होगा।
जी-20 दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जो वैश्विक जीडीपी, व्यापार और जनसंख्या के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। दलेला ने कहा कि आतंकवाद भारत के लिए अहम विषय है, लेकिन जी-20 मुख्यतः आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित मंच है और सभी चर्चाएं उसी दिशा में हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सम्मेलन में कौन से नेता शामिल होंगे, इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
