PM ने भारत में यूनेस्को समिति के 20वें सत्र की मेजबानी को बताया बड़ी उपलब्धि

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत में सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को की समिति के 20वें सत्र की मेजबानी संस्कृति की शक्ति का उपयोग कर समाज और पीढ़ियों को जोड़ने की देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

रविवार शाम विदेश मंत्री एस जयशंकर की बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूदगी के दौरान सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी का लिखित संदेश केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और यूनेस्को के महानिदेशक खालिद अल-एनानी की उपस्थिति में पढ़ा गया।

पीएम मोदी ने अपने संदेश में कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, आप न केवल अपने राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि उन जीवंत परंपराओं, कहानियों और ज्ञान का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो मानवता ने समय के साथ विरासत में हासिल की हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अमूर्त विरासत इसलिए मायने रखती है, क्योंकि यह समाजों की नैतिक और भावनात्मक स्मृतियों को संजोए रखती है। उन्होंने कहा कि यह विरासत पहचान को आकार देती है, सद्भाव को बढ़ावा देती है, अपनेपन की भावना को मजबूत करती है और पारंपरिक ज्ञान का संचार करती है जो किताबों में नहीं मिलता।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में भारत में यूनेस्को समिति के सत्र के आयोजन को सराहा। यूनेस्को की प्रमुख बैठक 8 से 13 दिसंबर तक यहां के प्रतिष्ठित लाल किले में आयोजित की जा रही है। यह पहली बार है जब भारत यूनेस्को समिति के किसी सत्र की मेजबानी कर रहा है। ऐतिहासिक लाल किला परिसर को इस आयोजन स्थल के रूप में चुना गया है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। देश की साझा परंपराओं को संरक्षित करने और लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से 150 से अधिक देशों के प्रतिनिधि इस आयोजन में एक साथ है।