‘जिन्ना ने वंदे मातरम का विरोध किया, नेहरू सहमत हो गए’, लोकसभा में बोले पीएम मोदी

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नई दिल्ली : राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर संसद में आज इस पर चर्चा होनी है। सबसे पहले चर्चा की शुरुआत लोकसभा में हुई। पीएम मोदी ने वंदे मातरम पर लोकसभा में अपना संबोधन दिया। इसके बाद 9 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी। 

पीएम ने कहा, ‘अंग्रेज समझ चुके थे कि 1857 के बाद भारत में लंबे समय तक टिक पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। जिस प्रकार के सपने लेकर वे आए थे, उन्हें यह साफ दिखने लगा कि जब तक भारत को बांटा नहीं जाएगा, लोगों को आपस में लड़ाया नहीं जाएगा, तब तक यहां राज करना कठिन है। 

तब अंग्रेज़ों ने ‘बांटो और राज करो’ का रास्ता चुना, और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया। अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया, तो वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा। यह नारा गली–गली का स्वर बन गया। 

अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन के माध्यम से भारत को कमजोर करने की दिशा पकड़ ली थी, लेकिन वंदे मातरम् अंग्रेजों के लिए चुनौती और देश के लिए शक्ति की चट्टान बनता गया। बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम् गली–गली का नारा बन गया था, और यही नारा बंगाल को प्रेरणा देता था।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘वंदे मातरम् का जो जन–जन से जुड़ाव था, वह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की एक लंबी गाथा की अभिव्यक्ति बन जाता है। जब भी किसी नदी की चर्चा होती है, तो उस नदी के साथ एक सांस्कृतिक धारा-प्रवाह, एक विकास-यात्रा की धारा-प्रवाह, एक जन–जीवन की धारा-प्रवाह स्वतः जुड़ जाती है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि आजादी की जंग की पूरी यात्रा वंदे मातरम् की भावनाओं से होकर गुजरती थी? ऐसा भाव-काव्य शायद दुनिया में कहीं उपलब्ध नहीं होगा।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यात्रा अनेक पड़ावों से गुजरी है, लेकिन जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने के लिए मजबूर था। जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, और जब वंदे मातरम् का अत्यंत उत्तम पर्व होना चाहिए था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था।

जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम् के गीत ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, उसके 100 वर्ष पूरे होने पर हमारे इतिहास का एक काला कालखंड दुर्भाग्य से उजागर हो गया।’