नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने रविवार को ऑस्ट्रियाई चांसलर नेहमर की सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में उम्मीद जताई कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ होंगे। पीएम ने अपनी पोस्ट में लिखा, मैं दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर चर्चा की उम्मीद करता हूं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्य वह आधार हैं जिस पर दोनों देश साथ मिलकर एक निरंतर घनिष्ठ साझीदारी का निर्माण करेंगे।
इससे पहले, नेहमर ने अपनी पोस्ट में लिखा कि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री का वियना में स्वागत करने के लिए बहुत उत्सुक हैं। उन्होंने लिखा, यह यात्रा एक विशेष सम्मान है क्योंकि यह 40 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मेरे देश की पहली यात्रा है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने और कई भू-राजनीतिक चुनौतियों पर बेहतरीन सहयोग के बारे में बात करने का अवसर मिलेगा। नेहमर की टिप्पणी पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनका आभार जताया।
पुतिन-मोदी मुलाकात पर दुनियाभर की नजरें टिकी हैं। 16 सितंबर 2022 को एससीओ बैठक से इतर मुलाकात के दौरान मोदी ने पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर इस बयान की दुनियाभर का ध्यान खींचा था। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से पीएम मोदी की यह पहली रूस यात्रा है। हालांकि, युद्ध के बीच भारत ने पश्चिमी देशों की नाराजगी के बावजूद रूस से तेल-गैस की आपूर्ति जारी रखी और निष्पक्ष देश की भूमिका निभाई।
पीएम मोदी 8 और 9 जुलाई को रूस की यात्रा पर रहेंगे और फिर वहीं से ऑस्ट्रिया जाएंगे। वह 9 और 10 जुलाई को ऑस्ट्रिया में रहेंगे। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ऑस्ट्रिया यात्रा होगी। वह ऑस्ट्रिया गणराज्य के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन और चांसलर से मिलेगें। पीएम मोदी और चांसलर नेहमर भारत-ऑस्ट्रिया के शीर्ष उद्यमियों की बैठक को भी संबोधित करेंगे। मोदी वियना में भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत करेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि इस दौरे का मकसद मॉस्को और बीजिंग के बीच बढ़ती करीबी को देखते हुए भारत-रूस के रिश्ते की अहमियत को दिखाना और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को संतुलित करना भी है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि पीएम मोदी की यह यात्रा राष्ट्रपति पुतिन के साथ व्यापार पर सीधी बातचीत करने का शानदार अवसर है। उन्होंने कहा, व्यापार असंतुलन जैसे कुछ मुद्दे हैं…इसलिए, जाहिर है कि नेतृत्व स्तर पर यह बैठक महत्वपूर्ण साबित होगी। क्योंकि उनके निर्देशों के अनुसार ही हम देखेंगे कि रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाया जाए। 22वें भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन पर विदेश मंत्री ने कहा कि यह अच्छी परंपरा है। लेकिन ऐसे शिखर सम्मेलनों में कुछ कमी आई है। दोनों नेताओं के बीच रूस पर प्रतिबंधों के चलते भुगतान मुद्दा हल करने, रक्षा हार्डवेयर की आपूर्ति, प्रस्तावित चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मैरिटाइम कॉरिडोर में निवेश पर चर्चा के अलावा यूक्रेन में रूस की ओर से लड़ रहे भारतीयों के संवेदनशील मुद्दे भी बातचीत की संभावना है।