लद्दाख : भारत में हाल ही में दिखी ऑरोरा (आकाश में रंग-बिरंगी ध्रुवीय रोशनी) की घटनाएं यह साबित करती हैं कि भारत की अंतरिक्ष मौसम की निगरानी की कोशिशें सही दिशा में हैं। दरअसल, वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस घटना की भविष्यवाणी 48-72 घंटे पहले ही कर दी थी। 10-11 अक्तूबर की रात को आकाश में तेज लाल रंग की रोशनी दिखी। इस साल मई और नवंबर 2023 में भी ऐसी ही ऑरोरा की घटनाएं देखी गई थीं। बंगलूरू के भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के हान्ले और लद्दाख के मेराक के कैमरों ने रिकॉर्ड किया।
भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) कोलकाता में देश के अंतरिक्ष विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र (सीईएसएसआई) के प्रमुख स्पेस साइंटिस्ट दिब्येंदु नंदी ने बताया कि ये ऑरोरा दिखाते हैं कि भारत अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी करने में सही दिशा में जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य से आने वाले सौर तूफान पृथ्वी पर बड़ी गड़बड़ियां कर सकते हैं, जैसे संचार सेवाएं बाधित हो सकती हैं और सैटेलाइट्स में समस्या आ सकती है।
नंदी ने कहा हालांकि, ऑरोरा देखने में सुंदर होते हैं, लेकिन लद्दाख जैसी जगहों पर इनका दिखना यह बताता है कि सूर्य की गतिविधि बढ़ रही है। ये सौर तूफान तब आते हैं जब सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र सक्रिय हो जाता है। यह चक्र आमतौर पर लगभग 11 साल तक चलता है। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए), अमेरिका जैसी अंतरिक्ष एजेंसियां और संगठन सूर्य से होने वाली रुकावटों को लेकर वक्त पर जानकारी देने के लिए अंतरिक्ष के मौसम की निगरानी करते हैं।
भारत की स्पेस वेदर टीम ने 7 अक्तूबर को सूर्य की बढ़ती गतिविधि के संकेत देखे। उन्होंने कंप्यूटर मॉडल्स का इस्तेमाल कर 9 अक्तूबर के लिए एक बड़े सौर तूफान की भविष्यवाणी की, जो बाद में ऑरोरा की वजह बना। बेहद बड़े होने पर ये सौर तूफान सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं और बिजली कटौती भी कर सकते हैं। लद्दाख में हाल ही में दिखे ऑरोरा संकेत देते हैं कि वर्तमान सौर गतिविधि चक्र अपने चरम पर है। हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी देख रहे हैं कि सूर्य की गतिविधि कब कम होने लगेगी, जिससे आने वाले वर्षों में सौर तूफान और ऑरोरा की घटनाएं कम हो जाएंगी।