नई दिल्ली : 2 अक्टूबर 2025 को देशभर में हर्ष और उल्लास के साथ दशहरा मनाया जा रहा है। यह पर्व हिंदू पंचांग के आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म और अहंकार पर सत्य की जीत हासिल की थी। इस दिन को बुराइयों पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।
इसलिए इस तिथि पर पूजा-अर्चना, हवन और दान जैसे पुण्य काम करने पर सभी प्रकार की नकारात्मकता, भय और बाधाओं से साधक दूर होता है। वहीं दशहरा के शुभ अवसर पर जहां रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है, वहीं घरों में शस्त्र पूजन करने की भी विशेष परंपरा है। ऐसे में आइए इस दिन के शुभ मुहूर्त और महत्व को विस्तार से जानते हैं।
पंचांग के मुताबिक दशहरा पर शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ होगा। यह मुहूर्त 2 बजकर 56 मिनट तक बना रहेगा। ऐसे में आप इस अवधि में शस्त्र पूजन कर सकते हैं।
ज्योतिषियों के मुताबिक रावण के पुतले का दहन सूर्यास्त के बाद किया जाता है। इस वर्ष दशहरा पर सूर्यास्त शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। ऐसे में इसके तुरंत बाद रावण दहन कर सकते हैं।
शस्त्र पूजन विधि :
दशहरा पर शस्त्र पूजन के लिए सबसे पहले अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों को पूजा स्थान पर एकत्रित कर लें।
अब एक साफ चौकी लेकर उसपर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
अब सभी शस्त्रों को साफ करें और उसे चौकी पर रख दें।
इसके बाद शस्त्रों पर गंगाजल का छिड़काव करें और प्रभु के मंत्रों का स्मरण करें।
अब शस्त्रों पर कलावा बांधें और उन पर तिलक लगाकर भगवान राम के नाम का जाप करें।
अब उनपर ताजे फूलों की माला अर्पित करें।
अब शुद्ध देसी घी से दीप जला लें और सुख-समृद्धि की कामना करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण से युद्ध करने से पूर्व भगवान राम ने शमी के पौधे के समक्ष झुककर विजय की कामना की थी। तभी से दशहरा पर शमी के पौधे की पूजा का महत्व माना जाता है। इसके प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली, कार्यों में आ रही बाधाएं दूर व विरोधियों से मुक्ति मिलती हैं।
दशहरा के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए इसे शक्ति की जीत का त्योहार भी कहते हैं।