नई दिल्ली-NewsXpoz : केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) मंगलवार को राज्यसभा में पहली बार बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गया. संसद के उच्च सदन के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के नौ और सहयोगी दलों के दो सदस्य निर्विरोध चुने गए. राज्यसभा में नौ और सदस्यों के साथ भाजपा की ताकत अब 96 तक पहुंच गई है. वहीं, उच्च सदन में एनडीए का आंकड़ा 112 पर पहुंच गया है.
राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने वाले तीन अन्य नेताओं में दो एनडीए के सहयोगी एनसीपी अजित पवार गुट के नितिन पाटिल और राष्ट्रीय लोक मंच से उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं. सत्तारूढ़ गठबंधन को छह नॉमिनेटेड और एक निर्दलीय सदस्य का भी समर्थन हासिल है.
राज्यसभा में कांग्रेस के लिए नेता विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित : राज्यसभा के लिए उपचुनाव में कांग्रेस के भी एक सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध निर्वाचित हुए. इससे उच्च सदन में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 27 हो गई है. यह आंकड़ा राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी के लिए जरूरी 25 सीटों से दो अधिक है. इसके चलते, कांग्रेस की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी. राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों के सांसदों की संख्या 85 रह गई है.
मौजूदा समय में राज्यसभा में आठ सदस्यों की सीट खाली : राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं. हालांकि, मौजूदा समय में आठ सदस्यों की सीट खाली है. इनमें चार जम्मू-कश्मीर से और चार मनोनीत सदस्यों के लिए जगह बाकी है. इसलिए सदन की मौजूदा सदस्य संख्या 237 के मुताबिक बहुमत का आंकड़ा 119 है. निर्वाचित और नॉमिनेटेड सासंदों और समर्थन के लिहाज से संख्या बल देखें तो भाजपा और एनडीए 119 सदस्यों के साथ बहुमत में आ गया है.
कौन-कौन नेता किन राज्यों से निर्विरोध निर्वाचित होकर आए? : राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धैर्यशील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी, राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं. राकांपा अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से निर्वाचित हुए. वहीं, आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा बिहार से उच्च सदन में पहुंचे हैं. तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए.
राज्यसभा में बहुमत के लिए एक दशक से कोशिश कर रहा एनडीए : राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े के लिए एनडीए एक दशक से कोशिश कर रहा है. एनडीए ने लंबे समय के बाद यह जीत हासिल की है. उच्च सदन में बहुमत का यह आंकड़ा विपक्ष के काफी विरोधों को बावजूद सरकार के लिए जरूरी विधेयकों को पास कराना आसान बना देगा. पिछले कुछ वर्षों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी. उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पास कराया जा सका है. लेकिन अब ये दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं.
एनडीए सरकार को लिए राज्यसभा में अहम बिल पास कराना आसान : ओडिशा में भाजपा के हाथों बीजद की हार और आंध्र प्रदेश में एनडीए के एक सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के सामने वाईएसआर कांग्रेस हार के बाद उनके समर्थन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. हालांकि, बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा.