नई दिल्ली : आज सावन माह की शिवरात्रि का पर्व है। यह महादेव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पान के लिए सबसे खास दिन है। सावन शिवरात्रि हिंदू धर्म में एक अत्यंत पावन और शुभ पर्व माना जाता है। यह दिन संपूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और सावन मास की खास शिवरात्रि होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
इस दिन देशभर में भक्त बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ व्रत रखते हैं और रात्रि जागरण कर शिव-पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सावन शिवरात्रि पर व्रत करने और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
सावन शिवरात्रि के दिन भक्तजन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, जिसमें जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। यह पूजा रात्रि के चार प्रहरों में की जाती है और विशेष मंत्रों का जाप कर महादेव को प्रसन्न किया जाता है। इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
सावन शिवरात्रि की तिथि : सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ: 23 जुलाई, प्रातः 04:39 मिनट पर
सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त : 24 जुलाई, देर रात 02:28 मिनट पर इस तरह 23 जुलाई को सावन माह की शिवरात्रि मनाई जाएगी।
सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त :
निशिता काल पूजा समय : 23 जुलाई, 12: 07 मिनट से 12: 48 मिनट तक
भद्रावास योग : दोपहर 03:31 मिनट तक
हर्षण योग : दोपहर 12:35 मिनट से
सावन शिवरात्रि व्रत पारण का समय : 24 जुलाई 2025, प्रातः 05:27 मिनट से शुरू होगा।
सावन शिवरात्रि पर इस विधि से करें पूजा :
सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर मंदिर को स्वच्छ करें। फिर व्रत का संकल्प लें। अब गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर यानी पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
इसके उपरांत बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, चंदन, फल और धूप-दीप अर्पित करें।
अब भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें।
संभव हो तो रात्रि जागरण करें। शिवरात्रि के अगले दिन शुभ मुहूर्त पर व्रत का पारण करें।
शिव प्रार्थना मंत्र :
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
शिव नमस्कार मंत्र :
शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
रूद्र गायत्री मंत्र :
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र :
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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