शिव तांडव के साथ शुरू हुई DGMO की प्रेस कांफ्रेंस, दिखाई पाकिस्तान की तबाही

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नई दिल्ली : पाकिस्तान के साथ टेंशन के बीच ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई तीनों सेनाओं के डीजीएम की प्रेस कांफ्रेस में एक भारत ने एक बार फिर बता दिया है कि किस तरह उन्होंने पाकिस्तान को शिकस्त दी है. 

प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत में शिव तांडव के म्यूजिक के एक वीडियो चलाया गया है. जिसमें मुंबई हमले, पुलवामा और आखिर में ऑपरेशन सिंदूर के नजारे दिखाए. इसके बाद एक-एक कर तीनों सेनाओं की तरफ से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की जाने वाली पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दी.

प्रेस कांफ्रेंस में डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा,’आप सभी अब तक उस निर्दयता और क्रूरता से परिचित हैं, जिसमें 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 बेगुनाह लोगों की जान ले ली गई. 

जब आप उन दर्दनाक दृश्यों और पीड़ित परिवारों की पीड़ा को देखते हैं, जो पूरे देश ने महसूस की और साथ ही हाल के समय में हमारी सेना और बेकसूर नागरिकों पर हुए कई आतंकी हमलों को भी जोड़ते हैं, तो हमें लगा कि अब समय आ गया है कि देश अपनी मजबूत इच्छाशक्ति को फिर से दिखाए. ऑपरेशन सिंदूर इसी सोच के साथ शुरू किया गया.

इसका मकसद था आतंक फैलाने वालों और इसे योजना बनाने वालों को सजा देना और उनके ठिकानों को तबाह करना. मैं वो बात नहीं दोहराऊंगा जो अक्सर कही जाती है कि भारत आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करता.’

राजीव घई ने आगे बताया, हमने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ बहुत बारीकी से निगरानी शुरू की और आतंकवादी ठिकानों और ट्रेनिंग सेंटर्स की पहचान की. कई जगहें सामने आईं लेकिन जब हमने गहराई से जांच की तो पता चला कि कुछ जगहों को पहले ही खाली कर दिया गया था, शायद इस डर से कि हम बदला ले सकते हैं.’ 

उन्होंने आगे बताया कि हमारी एक खास शर्त थी कि हम सिर्फ आतंकवादियों को निशाना बनाएंगे और किसी आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. हमारी खुफिया एजेंसियों ने 9 ऐसे कैंप की पुष्टि की जहां आतंकवादी मौजूद थे. इनमें से कुछ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoJK) में थे और कुछ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में. इनमें मुरिदके जैसी जगह भी शामिल है, जो लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य अड्डा है. ये वही जगह है जहां से अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे आतंकवादी निकले हैं.

प्रेस कांफ्रेंस के बीच तस्वी दिखाते हुए घई ने बताया,’इन 9 आतंकवादी ठिकानों पर हुए हमलों में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए, जिनमें कुछ बड़े नाम जैसे यूसुफ अज़हर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद शामिल थे.

ये वही लोग थे जो IC814 विमान अपहरण और पुलवामा हमले में शामिल थे. इसके बाद पाकिस्तान ने LoC का उल्लंघन किया और उनकी बौखलाहट साफ दिखी. उन्होंने कई आम नागरिकों, बसे हुए गांवों और गुरुद्वारों जैसे धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया, जिससे कई मासूमों की जान चली गई.

एयर मार्शल एके भारती ने कहा,’8 और 9 तारीख की रात करीब 10:30 बजे से हमारे शहरों पर ड्रोन और बिना पायलट वाले विमानों (UAVs) से बड़े पैमाने पर हमला हुआ. ये हमले श्रीनगर से लेकर नलिया तक किए गए लेकिन हम पहले से तैयार थे.
हमारी एयर डिफेंस व्यवस्था ने ये सुनिश्चित किया कि दुश्मन जिन जगहों को निशाना बनाना चाहता था, वहां कोई नुकसान न हो. हमने भी सोच-समझकर जवाब दिया और लाहौर व गुजरांवाला में दुश्मन के सैन्य ठिकानों और निगरानी रडार को निशाना बनाया. ड्रोन हमले सुबह तक जारी रहे, लेकिन हमने उनका पूरा जवाब दिया.
हैरानी की बात ये रही कि जब ये हमले हो रहे थे, तब दुश्मन देश ने लाहौर से अपने और अंतरराष्ट्रीय यात्री विमानों को उड़ने दिया. ये बहुत ही गैर-जिम्मेदाराना था और हमें काफी सतर्कता बरतनी पड़ी ताकि कोई बड़ा हादसा न हो. एयर मार्शल ने मुरीदके आतंकी शिविर पर मिसाइल के प्रभाव का विस्तृत वीडियो दिखाया.

DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा,’कुछ हवाई इलाकों और डंपों पर हवा से लगातार हमले हुए. सभी को नाकाम कर दिया गया. पाकिस्तानी सेना ने बताया है कि 7 से 10 मई के बीच नियंत्रण रेखा पर तोपखाने और छोटे हथियारों से गोलीबारी में उसके लगभग 35 से 40 जवान मारे गए हैं.’

DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा,’जमीन पर हमने कुछ खास इंतज़ाम किए, जैसे एयर डिफेंस (हवाई सुरक्षा) और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की तैनाती, ताकि वायुसेना के साथ मिलकर एक मजबूत और एकीकृत सुरक्षा व्यवस्था बनाई जा सके. आपमें से कई लोगों ने इस सिस्टम की तारीफ भी की है, क्योंकि यह दुश्मन के ड्रोन और हवाई हमलों को रोकने में बहुत कारगर है. हमने जमीन, समंदर और आसमान – तीनों क्षेत्रों में अपनी सेना को तैयार किया और तैनात किया. 
9-10 मई की रात को फिर से ड्रोन और एयरक्राफ्ट के जरिए घुसपैठ की कोशिशें हुईं. इस बार उनका निशाना हमारे एयरफील्ड्स (हवाई अड्डों) और कुछ बेहद जरूरी लॉजिस्टिक (सामरिक सप्लाई) ठिकाने थे लेकिन यह कोशिश भी नाकाम रही, क्योंकि भारतीय वायुसेना और थल सेना की एयर डिफेंस ने मिलकर बहादुरी और कुशलता से इन हमलों को नाकाम कर दिया.’

एयर मार्शल एके भारती ने कहा,’कई पाकिस्तानी एरियल सिस्टम, ड्रोन, लड़ाकू वाहनों ने कई IAF ठिकानों पर हमला किया. इनमें जम्मू, उधमपुर, पठानकोट, अमृतसर, बठिंडा, डलहौजी, जैसलमेर शामिल थे. ये लगभग एक साथ हुए और वे लहरों में आए. हमारी सभी एयर डिफेंस गन और दूसरे सिस्टम्स उनका इंतजार कर रहे थे.
इन सभी लहरों को हमने अपने पास मौजूद एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करके बेअसर कर दिया और उनमें से कुछ का इस्तेमाल हमारी विरासत प्रणालियों जैसे कि पिकोरा, IAF SAMAR का इस्तेमाल करके किया गया. इन घुसपैठों और पाकिस्तान की तरफ से इन बड़े हमलों से जमीन पर कोई नुकसान नहीं हुआ.’

भारती ने आगे बताया,’यह फैसला लिया गया कि जहां चोट पहुंचे, वहां हमला किया जाए और इस दिशा में एक संतुलित हमले में हमने पूरे पश्चिमी मोर्चे पर इसके वायु ठिकानों, कमांड सेंटर, सैन्य बुनियादी ढांचे, वायु रक्षा प्रणालियों को निशाना बनाया. हमने जिन ठिकानों पर हमला किया उनमें चकलाला, रफीक, रहीम यार खान शामिल हैं, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि आक्रामकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसके बाद सरगोधा, भुलरी और जैकोबाबाद में हमले किए गए. हमारे पास इन ठिकानों और अन्य जगहों पर हर प्रणाली को निशाना बनाने की क्षमता है.’