नई दिल्ली : अंतरिक्ष यात्री शुंभांशु शुक्ला 20 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद धरती पर लौट आए हैं। अपने प्रक्षेपण से पहले उन्होंने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दो महीने का क्वारंटीन पूरा किया था। वापस लौटे शुंभांशु शुक्ला ने अपनी पत्नी कामना और छह साल के बेटे से भावनात्मक मुलाकात के भावुक पलों को साझा किया है। शुभांशु ने इंस्टाग्राम पर तस्वीरें साझा की हैं।
तस्वीरें साझा करते शुभांशु ने लिखा कि अंतरिक्ष की यात्रा करना एक अनोखा अनुभव है, लेकिन लंबे समय बाद अपनों से मिलना भी उतना ही अद्भुत होता है। मुझे क्वारंटीन में गए हुए दो महीने हो चुके हैं। क्वारंटीन के दौरान जब परिवार मिलने आता था, तब हमें आठ मीटर की दूरी बनाकर रखनी पड़ती थी। मेरे छोटे बेटे को यह कहकर समझाया गया था कि उसके हाथों पर कीटाणु हैं, इसलिए वह अपने पापा को छू नहीं सकता।
उन्होंने आगे लिखा, हर बार जब वह मिलने आता था, तो अपनी मम्मी से पूछता, क्या मैं हाथ धो लूं? यह समय बहुत मुश्किल भरा था। जब मैं धरती पर लौटा और अपने परिवार को फिर से बाहों में लिया, तो ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं फिर से अपने घर लौट आया हूं।
शुभांशु ने लिखा, आज ही किसी अपने को गले लगाइए और कहिए कि आप उनसे प्यार करते हैं। हम अक्सर जिंदगी की भागदौड़ में इतना उलझ जाते हैं कि अपने करीबियों की अहमियत भूल जाते हैं। इंसानी अंतरिक्ष मिशन जादुई होते हैं, लेकिन उन्हें जादुई इंसान बनाते हैं।
इस मिशन की शुरुआत 2024 के अंत में हुई, जब एक्सिओम-4 मिशन की घोषणा की गई थी। यह एक साझा वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ान थी, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा दोनों का समर्थन हासिल था। मिशन को 2025 की शुरुआत में लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्च से पहले तकनीकी चीजों की जांच करनी पड़ी और फ्लोरिडा के केनेडी अंतरिक्ष स्टेशन में मौसम भी ठीक नहीं था। इन वजहों से मिशन कई बार टल गया था।
आखिरकार, 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी अंतरिक्ष स्टेशन से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए यह मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। फिर 26 जून को अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंच गए और उन्होंने वहां 18 दिनों का अपना सफर शुरू किया।
इस दौरान शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में भारत के सात वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो माइक्रोग्रैविटी यानी बहुत ही कम गुरुत्वाकर्षण वाली स्थिति में किए गए। इनमें मूंग और मेथी के बीजों को उगाने की कोशिश, स्टेम सेल (कोशिका) पर शोध और माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल से जुड़े प्रयोग शामिल थे। आईएसएस पर रहते हुए शुभांशु शुक्ला ने शून्य गुरुत्वाकर्षण में पानी के बुलबुले कैसे बनते हैं, यह दिखाया।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी प्रयोग किया कि जब कोई अंतरिक्ष यात्री स्क्रीन पर काम करता है, तो उस दौरान उसके दिमाग पर कितना असर पड़ता है, यानी दिमाग पर कितना बोझ महसूस होता है (जिसे कॉग्निटिव लोड कहते हैं)।
मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्कूल के छात्रों और इसरो के वैज्ञानिकों से रेडियो और वीडियो कॉल के जरिए बात की। यह बातचीत मिशन का एक खास हिस्सा था, जिससे आम लोगों और छात्रों तक अंतरिक्ष यात्रा की जानकारी पहुंचाई गई।
13 जुलाई को एक विदाई समारोह रखा गया, जिसमें एक्सपीडिशन 73 के अंतरिक्ष यात्री मौजूद थे। इस समारोह में शुभांशु शुक्ला ने इसरो और अपने सभी साथियों का धन्यवाद किया।
इसके बाद 14 जुलाई को ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से दूरी बना ली। सभी जरूरी काम और प्रयोग पूरे करने के बाद 15 जुलाई 2025 को शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम कैलिफोर्निया के समुद्र तट के पास सुरक्षित उतर गई और धरती पर वापस आ गई।
यह मिशन भारत के लिए एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक कदम है। इससे दुनिया के सामने देश की वैज्ञानिक ताकत दिखी है और भविष्य में अंतरिक्ष से जुड़ी खोज और शोध के लिए नई उम्मीदें जगी हैं।