धनबाद-NewsXpoz : टूटी और कबाड़ बन चुकी बिन पेंदी की बाल्टियां और एक्सपायर्ड अग्निशमन यंत्रों से आग पर काबू पाने का दिखावा SNMMCH कर रही है। जबकि कई अग्निशमन यंत्र अस्पताल के छत पर भी लावारिस स्थिति में फेंकी हुई है। वही आग बुझाने के लिए बालू से भर बाल्टियों के पेंदी सड़ कर परलोक सिधार गए है… लेकिन आपदा की स्थिति से निपटने के लिए वो अब भी अस्पताल परिसर में झूलते दिख रहे हैं। ऐसे में यह अंदाजा लगाना कतई मुश्किल नहीं है कि राज्य के बड़े अस्पतालों में गिना जाने वाला शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल प्रबंधन अपने मरीज और उनके परिजनों के साथ-साथ अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर-नर्स तथा अन्य कर्मियों की सुरक्षा के प्रति कितना सजग व सतर्क है?
‘कुंभकर्णी नींद’ में सोया हुआ है प्रबंधन : हाल के दिनों में आग लगी की कई घटनाओं से अस्पताल में अफरा-तफरी मच चुकी है, परन्तु प्रबंधन अभी भी ‘कुम्भकर्णी नींद’ से नहीं जागा है। पिछले सप्ताह देर शाम SNMMCH के लॉन्ड्री में आग लग गई थी, जिसमें लाखों रुपए की संपत्ति जलकर स्वाहा हो गई। उससे पहले अस्पताल के डायलिसिस वार्ड में भीषण अगलगी की घटना हो चुकी है। जिसमें करोड़ों रुपए के उपकरण जलकर स्वाहा हो गए थे। कुछ माह पहले अस्पताल के तीसरी मंजिल पर अवस्थित NICU यानी नवजातों की जिंदगी बचाने का वार्ड भी भीषण आग लगी को झेल चुका है। फिर भी आग से बचाव के लिए अस्पताल प्रबंधन लगातार लापरवाही बरतता आ रहा है।
NewsXpoz की टीम अस्पताल में जब आग से बचाव के संसाधनों का जायजा लिया तो पाया कि अस्पताल भवन के विभिन्न गलियारों व हॉल में जगह-जगह पर आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र लगे हुए हैं। लेकिन उनमें कई अपना दम तोड़ चुके हैं यानी एक्स्पायर्ड है… कुछ यंत्र छत पर भी लावारिस पड़े हुए है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के मुख्य द्वार पर लगे हुए बाल्टियों की श्रृंखला की पेंदी सड़ कर अलग हो गए हैं। जबकि नियमानुसार बाल्टियों में बालू भरे होने चाहिए। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन मरीज, डॉक्टर और पैरामेडिकल कर्मियों की सुरक्षा के प्रति कितना गंभीर है… यह बताने की आवश्यकता नहीं है!
उचित नियमों की लगातार अनदेखी : इस संबंध में अग्निशमन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आग लगने की स्थिति में बचाव के लिए उचित नियमों की लगातार अनदेखी की जा रही है। जिससे वहां मरीज और उनके परिजनों तथा पैरामेडिकल कर्मियों की जान पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। अस्पताल के ICU, HDU, ICCU जैसे संवेदनशील वार्डो में भी लापरवाही का आलम है। इस अराजकता और लापरवाही के प्रति SNMMCH के वरीय अधिकारी अनजान बनने का स्वांग रचे हुए हैं। जबकि देश के विभिन्न अस्पतालों में आए दिन गंभीर भीषण आग लगी की घटना से दर्जनों मरीज की मौत हो चुकी है।
धनबाद झेल चूका है कई भीषण आगलगी की घटनाएं : पिछले वर्ष ही धनबाद शहर के आशीर्वाद अपार्टमेंट और हाजरा नर्सिंग होम में हुई भीषण आग लगी के दहशत भरे मंजर को लोग अभी तक भूल नहीं सके है। ऐसे में शहर के सबसे बड़े अस्पताल में रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज व उनके परिजन पहुंचते हैं… वहां आग से बचाव के संसाधनों की उपेक्षा को घोर लापरवाही ही माना जाएगा।
हालांकि यह भी गौर करने वाली बात है कि अस्पताल परिसर में झूलते हुए अग्निशमन यंत्रों का प्रयोग या उपयोग कौन और कैसे करेगा…. यह भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि अस्पताल में प्रतिनियुक्त और नियुक्त कर्मी उसे ऑपरेट करना नहीं जानते। उन्हें आपदा की स्थिति में सुरक्षा के संसाधनों के प्रयोग का प्रशिक्षण नहीं मिला है। ऐसे में मरीजों की जान बीमारी से कम और संभावित हादसे से ज्यादा बढ़ जाता है।
लापरवाही की इंतहा : इस लापरवाही के प्रति ना तो स्थानीय जिला प्रशासन सजग है और नहीं अग्निशमन विभाग। हालांकि समय-समय पर कई अधिकारी, जनप्रतिनिधियों का औचक निरीक्षण अस्पताल में होता रहता है… लेकिन उनकी आंखों में भी धूल या कुछ अन्य कण जा चुके हैं … जिससे उन्हें यह काम कमियां नजर नहीं आती है!
SNMMCH में मरीजों का इलाज हो या नहीं, लेकिन सामानों व उपकरणों की खरीदारी में प्रबंधन की सक्रियता देखते ही बनती है। 40 लाख रुपये से रातों रात खरीदे गये अग्निशामक यंत्र अस्पताल की शोभा बढ़ा रहे हैं।
रातों-रात लगाये गये थे यंत्र : वर्ष 2018 में रिम्स (रांची) में आगजनी की घटना के बाद हाईकोर्ट ने सभी मेडिकल कॉलेजों में अग्निशमन यंत्र की जांच कराई थी, जिसमें तत्कालीन पीएमसीएच (SNMMCH) में लगाये गये यंत्र को मानकों पर खरा नहीं पाया गया था। इमरजेंसी से लेकर आईसीयू तक में अव्यवस्थित तरीके से इलेक्ट्रिक वायरिंग की गई है। ये अव्यवस्थित वायरिंग आगजनी की घटना को न्योता देती नजर आ रही हैं।
अस्पताल में आग से बचाव के लिए न तो कोई फायर फाइटिंग किट है और ना ही पानी या आग बुझाने के लिए जगह-जगह बालू ही भरकर रखा गया है। ऐसे में धनबाद एसएनएमएमसीएच के मरीज अब सिर्फ भगवान भरोसे ही हैं। रिपोर्ट : अमन्य सुरेश (8340184438)