नई दिल्ली : भगवान श्री कृष्ण पर आस्था और विश्वास रखने वाले तमाम सनातनी लोग जिस जन्माष्टमी पर्व का पूरे साल इंतजार करते हैं, उसे आज देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. स्मार्त जहां 15 अगस्त 2025 को तो वहीं वैष्णव परंपरा से जुड़े लोग 16 अगस्त 2025 को अपने लड्डू गोपाल की पूजा करेंगे. हिंदू मान्यता (Hindu Belief) है कि जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री कृष्ण (Lord Krishna) भगवान की विधि-विधान से पूजा करता है, उस पर पूरे साल कान्हा की कृपा बरसती है.
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त : पंचांग (Panchang) के अनुसार इस साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 की रात्रि को 11:50 बजे से लेकर 16 अगस्त 2025 को रात्रि 09:35 बजे रहेगी. चूंकि 16 अगस्त 2025 को अष्टमी तिथि पूरे दिन सूर्यास्त के बाद भी रात्रि 09:35 बजे तक रहेगी, इसलिए सभी वैष्णव और गृहस्थ लोग 16 को इस महापर्व को मनाएंगे. मथुरा में भी 16 अगस्त 2025 के दिन ही जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा.
जन्माष्टमी पूजा की सामग्री : यदि आप चाहते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा सुकून के साथ करें तो आपको पूजा से पहले सारी उसकी सामग्री इकट्ठा करके अपने पास रख लेना चाहिए. जन्माष्टमी की पूजा के लिए चौकी, उस पर बिछाने वाला पीला कपड़ा, कान्हा की मूर्ति अथवा उनका चित्र या फिर लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) की मूर्ति, भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार करने के लिए वस्त्र, मोर मुकुट, मोर पंख, बांसुरी, आभूषण, शंख, तुलसी दल, अक्षत, रोली, चंदन, केसर, पुष्प, माला, शुद्ध जल, जल रखने के लिए पात्र, कलश, गंगाजल (Gangajal), दूध, दही, धूप, दीप, शुद्ध घी, मक्खन, पंचामृत, धनिया पंजीरी केसर, नारियल कपूर, पान, सुपारी, मौली, शक्कर, साफ कपड़ा, कान्हा के लिए झूला, आदि रख लें.
जन्माष्टमी पर कैसे करें कान्हा की पूजा : जन्माष्टमी के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद ईशान कोण में चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को पीला कपड़ा बिछाकर रखें. इसके स्वयं भी अपने लिए आसन बिछाएं और उस पर बैठकर सबसे पहले पवित्र जल से खुद पर और उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण पर छिड़कें. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को देखकर उनका ध्यान करते हुए पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें.
इसके पश्चात् भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या फिर लड्डू गोपाल को एक बड़े पात्र या फिर परात में रखकर पहले से तैयार किये गये दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर बनाए गये पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं और साफ कपड़े से मूर्ति को पोंछकर कान्हा का वस्त्र, आभूषण आदि पहनाकर पूरा श्रृंगार करें.
फिर उन्हें यदि उपलब्ध है तो गोपी चंदन या फिर रोली, हल्दी, या केसर का तिलक लगाएं. फिर भगवान को पुष्प-माला, दूर्वा अर्पित करें. इसके बाद भगवान को नैवेद्य, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करने के बाद उस पर से जल फेर दें. भगवान का विधि-विधान से पूजा करने के बाद भगवान श्री कृष्ण की चालीसा (Krishna Chalisa), मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ करें. पूजा के अंत में श्री कृष्ण की आरती करते हुए पूजा में कमी पेशी के लिए माफी और मनचाहा वरदान मांगें.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के नियम :
- जन्माष्टमी पर पूजा करने वाले कृष्ण भक्त को तन और मन से पवित्र होकर ही पूजा करना चाहिए.
- जन्माष्टमी के दिन कृष्ण के साधक को किसी देवालय में जाकर कान्हा के दिव्य स्वरूप का दर्शन करना चाहिए.
- जन्माष्टमी के दिन अन्न का सेवन न करें, लेकिन यह नियम बच्चों, बुजुर्गो और मरीजों पर पूरी तरह से लागू नहीं होते हैं. जो लोग किसी कारणवश व्रत रखने में असमर्थ हैं, वे अपनी आस्था और सामर्थ्य के अनुसार जितना संभव हो सके उतने ही नियमों का पालन करें.
- जन्माष्टमी पर यदि किसी कारण देवालय न जा सकें या फिर घर में भी पूजा करने में असमर्थ हों तो उनकी मानसिक पूजा करें.
- जन्माष्टमी के दिन किसी पर क्रोध न करें और न ही किसी के लिए मुख से अपशब्द निकालें.
- जन्माष्टमी के दिन भगवान को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाने के साथ तुलसी दल अवश्य अर्पित् करें.
- जन्माष्टमी की रात भगवान श्री कृष्ण की पूजा के बाद उनके मंत्र का जाप या फिर भजन कीर्तन करें.