नई दिल्ली : खगोल विज्ञान की दुनिया में एक बड़ी खोज हुई है। वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल से बाहर पृथ्वी से करीब दोगुने आकार का एक नया ग्रह खोजा है जिसे सुपर-अर्थ की श्रेणी में रखा गया है। यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा उस दूरी से कर रहा है जो हमारे सौरमंडल में शनि ग्रह की कक्षा से भी अधिक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सौरमंडल से परे सुपर-अर्थ ग्रहों की भरमार है।
इस खोज को हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स (सीएफए ) के खगोलविदों ने अंजाम दिया है, जो अंतरिक्ष की गहराइयों में छिपे रहस्यों को उजागर करने में लगे हैं। सुपर-अर्थ ऐसे ग्रह होते हैं जिनका आकार और द्रव्यमान पृथ्वी से अधिक लेकिन नेपच्यून से कम होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ग्रह उन क्षेत्रों में पाए जा रहे हैं जहां पहले केवल विशाल गैस ग्रहों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। यह इस बात का संकेत है कि ग्रहों की उत्पत्ति और संरचना, हमारे सौरमंडल की अपेक्षा अन्य प्रणालियों में कहीं अधिक विविध और जटिल हो सकती है।
वैश्विक टेलीस्कोप नेटवर्क से मिली ताकत : अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने कोरिया माइक्रोलेंसिंग टेलीस्कोप नेटवर्क (केएमटीनेट) इस्तेमाल किया, जिसमें चिली, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में स्थित तीन अत्याधुनिक टेलीस्कोप शामिल हैं। ये टेलीस्कोप निरंतर रातभर आकाश का निरीक्षण करते हैं।
पृथ्वी जैसी या उससे कुछ बड़ी दुनिया ब्रह्मांड में सामान्य : खगोलविदों का कहना है कि इस खोज ने यह साबित कर दिया है कि पृथ्वी जैसी या उससे कुछ बड़ी दुनिया ब्रह्मांड में असामान्य नहीं बल्कि सामान्य हैं। यह न केवल खगोल विज्ञान के लिए बल्कि जीवन की संभावना के अध्ययन के लिए भी एक नई दिशा प्रदान करता है। जैसे-जैसे शोध आगे बढ़ेगा हम न केवल इन ग्रहों की संख्या जान पाएंगे बल्कि उनके वातावरण, संरचना और जीवन की संभावना के बारे में भी गहराई से समझ विकसित कर सकेंगे।
माइक्रोलेंसिंग-दूरस्थ ग्रहों की खोज की कुंजी : साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध में माइक्रोलेंसिंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो ब्रह्मांडीय वस्तुओं की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आने वाले प्रकाश को बढ़ाकर दूरस्थ ग्रहों का पता लगाती है। यह तकनीक विशेष रूप से उन ग्रहों को खोजने में सक्षम है जो हमारे सूर्य और शनि की दूरी के बराबर या उससे भी अधिक दूर स्थित हैं। अध्ययन बताता है कि यह अब तक का सबसे बड़ा माइक्रोलेंसिंग डाटा सेट है, जिसमें पहले की तुलना में तीन गुना अधिक ग्रह शामिल हैं।