शिमला : वर्ष 1971 में आज के ही दिन भारत ने पाकिस्तान को घुटने पर लाकर उसके दो टुकड़े कर दिए थे। इस दिन बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। 54 साल पहले 13 दिन तक चले इस युद्ध का जिक्र करते हुए सेवानिवृत्त ऑनरेरी कैप्टन पीडी शर्मा का चेहरा खुशी से चमक उठता है। शोघी की थड़ी पंचायत के नागड़ी गांव के रहने वाले पीडी शर्मा वर्ष 1969 में सेना में भर्ती हुए थे।
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें जालंधर में तैनाती मिली। इस दौरान 3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया। उन्होंने बताया कि पंजाब के जंडयाला गुरु की फॉरवर्डिंग पोस्ट में उन्हें तैनाती मिली। कम सुविधाओं के बावजूद सेना के जवानों ने दिनरात अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तान की सेना झुकने पर मजबूर कर दिया।
वह बताते हैं कि इस दौरान रात के समय रसद पहुंचाने का काम किया जाता था लेकिन लाइट जलाने पर दुश्मन की ओर से वाहनों को निशाना बनाने का खतरा बना रहता था। इसको देखते हुए बिना लाइट जलाए गाड़ियों को आगे बढ़ने के निर्देश दिए थे। इसमें काफी खतरा होता था लेकिन इसके बावजूद आर्मी सर्विस कोर द्वारा मोर्चे पर तैनात जवानों को रसद पहुंचाई जाती थी। इसमें खाने-पीने का सामान और हथियार शामिल होते थे।
ऑनरेरी कैप्टन पीडी शर्मा ने बताया कि 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने हार स्वीकार कर ली थी जिसके साथ ही बांग्लादेश का उदय हुआ। उन्होंने बताया कि युद्ध खत्म होने के बाद बॉर्डर से सेना के जवान लौटे तो इस दौरान जालंधर, अंबाला और कालका में लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान जवानों को तरह-तरह के उपहार भी दिए गए। देश की जीत से लोगों में जबरदस्त उत्साह था।
उन्होंने बताया कि कम सुविधाओं के बावजूद सेना के जवानों ने सर्वोच्च बलिदान देकर देश को जीत दिलाई। उन्होंने बताया कि आज 54 साल बीतने के बाद भी युद्ध की स्मृतियां उनके दिलो दिमाग में उबर आती हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती हों। वहीं नशे की बढ़ती प्रवृति को लेकर भी उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए सरकार से कड़े कदम उठाने का आग्रह किया। आज वह 75 साल की उम्र में शोघी के ख्वाराचौकी के पास अपने घर में स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं और खुद अपने दिनचर्या के कामकाज निपटाते हैं।
