नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आज प्रस्तावित ‘सिविल डिफेंस एक्सरसाइज’ को फिलहाल स्थगित कर दिया है। यह अभ्यास ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आयोजित होना था।
राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की सरकारों ने कहा कि यह मॉक ड्रिल प्रशासनिक कारणों से स्थगित हुई है। यह भी स्पष्ट किया कि अभ्यास की अगली तारीख बाद में घोषित की जाएगी। केंद्र शासित चंडीगढ़ में भी मॉक ड्रिल को स्थगित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने इन अभ्यासों के बाद देश के संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिक सुरक्षा तैयारियों में महत्वपूर्ण खामियां पाई थीं। 9 मई को मंत्रालय ने राज्यों को इन खामियों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी जारी किए थे।
इससे पहले बुधवार को आई खबर के बाद गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में लोगों से सतर्क रहने को कहा गया। मौजूदा अभ्यास पाकिस्तान की सीमा से सटे राज्यों में कराने का फैसला किया गया है।
बता दें कि पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देने से पहले पूरे देश में 7 मई को मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया था। मॉक ड्रिप पर बुधवार को सबसे पहली जानकारी राजस्थान से आई। बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी ने कहा कि केंद्र सरकार के आदेशानुसार पाकिस्तान की सीमा से लगे जिलों में गुरुवार 29 मई को मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत नागरिक और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था। भारत ने 6-7 मई की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने हद पार कर दी और अगले चार दिनों तक पश्चिमी मोर्चे पर ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश की। पाकिस्तान ने आबादी वाले इलाकों, स्कूल और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया था। हालांकि, भारत के सशस्त्र बलों ने उसके हर नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
अभ्यास के तहत अहम प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी पहचान छिपाने का बंदोबस्त किया जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि दुश्मन के विमान महत्वपूर्ण फैक्टरियों, प्रतिष्ठानों को दूर से ही निशाना न बना सकें। किसी भी युद्ध में दुश्मन की सेना ऐसे प्रतिष्ठानों को ही सबसे पहले निशाना बनाती है, ताकि अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ी जा सके। इसके अलावा हमले की स्थिति में आम लोगों की सुरक्षित निकासी की योजना बनाने और उनका बार-बार पूर्वाभ्यास किया जाता है।
मॉक ड्रिल के दौरान आम नागरिकों को प्रशासन के निर्देशों का पालन करना होगा। इस दौरान सायरन बजने पर प्रशासन के सुझाए गए सुरक्षित जगहों पर जाने की तैयारी करना है। वहीं ब्लैकआउट की स्थिति में घर में रहना और घरों की लाइट बंद करना शामिल है।
हमले का सायरन- मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने के लिए सायरन बजेगा। जिसका मतलब ये है कि आस-पास में कहीं पर रॉकेट या मिसाइल से हमला होने वाला है और सभी नागरिक तुरंत सरकार की तरफ से चिन्हित सुरक्षित जगह पर चलें जाएं।
नागरिकों को ट्रेनिंग- इस दौरान आम नागरिक और स्कूली छात्रों के लिए कई जगहों पर ट्रेनिंग की जाएगी, जिसमें ये सिखाया जाएगा कि, हमले की स्थिति में आपको क्या करना है और अपने आस-पास के लोगों की कैसे मदद करनी है। इस दौरान लोगों को घबराहट से बचाना और प्राथमिक चिकित्सा भी देना शामिल है।
ब्लैकआउट- इसमें देश में अचानक बिजली कटने के बाद की स्थिति के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं हवाई हमले के दौरान बिजली से चलने वाले कई उपकरण बंद कर दिए जाएंगे, जिससे दुश्मन के हवाई हमले से बचने में अहम मदद मिलेगी।
छिपने और जोखिम भरे क्षेत्र से निकलना- इस दौरान सभी को छिपना, अहम सामानों और जगहों को छिपाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। जिससे ये सभी दुश्मन के सैटेलाइट या हवाई निगरानी के दौरान आसानी से दिखाई न पड़े। वहीं सबसे जोखिम भरे क्षेत्रों से निकलना और लोगों को निकालने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
आखिरी मॉक ड्रिल इसी महीने की शुरुआत में यानी 7 मई को की गई थी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण माहौल के बीच पूरे देश में यह अभ्यास किया गया था। इससे 54 साल पहले 1971 में हुआ था। तब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए हुआ युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध में बदल गया था, जो देश की पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर लड़ा गया था। उस समय नागरिकों की जान-माल को कम से कम नुकसान पहुंचे, इसके लिए ऐसा अभ्यास किया गया था।