नई दिल्ली-NewsXpoz : पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप के डॉक्टर रह चुके रॉनी जैक्सन ने दावा किया है कि बाइडेन संभवतः मानसिक रोग (Cognitive disease) से पीड़ित हैं. देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. डॉ. जैक्सन का कहना है कि राष्ट्रपति बाइडेन को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण पद छोड़ देना चाहिए.
व्हाइट हाउस के एक पूर्व चिकित्सक के तौर पर डॉ. रॉनी जैक्सन तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा और ट्रंप के कार्यकाल में काम कर चुके हैं. डॉ. रोनी जैक्सन जो दोनों सरकारों में आधिकारिक डॉक्टर थे और अब एक रिपब्लिकन हैं. उन्होंने राष्ट्रपति बाइडेन को संभवत एक मानसिक रोगी बताया है. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी आग्रह किया कि संभावित राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थों के कारण राष्ट्रपति बाइडेन को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
डॉ जैक्सन ने यह दावा गुरुवार को राष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रिया की पहली बहस के बाद किया है. CNN के सर्वे के मुताबिक, इस बहस को देखने वाले ज्यादातर लोगों की नजर में मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के मुकाबले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रदर्शन बेहतर रहा.
यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा-डॉ जैक्सन : टेक्सास प्रतिनिधि डॉ जैक्सन ने शनिवार को लिखा, “यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा है. एक अमेरिकी के रूप में मुझे लगता है कि उन्हें पद छोड़ने की जरूरत है और उन्हें तुरंत पद से हटाने की जरूरत है.”
अमेरिकी इतिहास में सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन को कई सार्वजनिक जगहों पर भूलों के कारण अपने मानसिक स्वास्थ्य और अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप से लड़ने की क्षमता के संबंध में बार-बार जांच का सामना करना पड़ा है. जो बाइडेन राष्ट्रपति का दूसरा कार्यकाल चाहते हैं. लेकिन विरोधी उनकी फिटनेस पर लगातार सवाल उठा रहा है.
कौन हैं डॉक्टर रॉनी जैक्सन? : पूर्व नौसेना रियर एडमिरल डॉ जैक्सन 2013 और 2016 के बीच ओबामा के निजी चिकित्सक के तौर पर काम कर चुके हैं. इसके बाद 2016 और 2018 के बीच उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के लिए काम किया. व्हाइट हाउस के पूर्व चिकित्सक का मानना है कि बहस के दौरान बाइडेन का भ्रमित और अस्थिर प्रदर्शन गंभीर उम्र बढ़ने के संकेत दिखाता है. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि यदि बाइडेन अपने अभियान से हटने से इनकार करते हैं तो उनके कैबिनेट सदस्य 25वें संशोधन का उपयोग करने के बारे में सोच सकते हैं. यह अधिनियम राष्ट्रपति को अपने कार्यालय के कर्तव्यों और शक्तियों का पालन करने में असमर्थ होने पर उन्हें हटाने की अनुमति देता है जिससे उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की अनुमति मिलती है.