नई दिल्ली : पाकिस्तान की एक अदालत ने एक ईसाई व्यक्ति को सोशल मीडिया पर ‘ईशनिंदा करने वाली पोस्ट’ डालने का दोषी ठहराया और मृत्युदंड की सजा सुनाई. पंजाब सूबे में पिछले साल आरोपी के कथित पोस्ट के विरोध में उग्र भीड़ ने हमला कर कई गिरिजाघरों और अल्पसंख्यक समुदायों के घरों में आग लगा दी थी.
आतंकवाद रोधी मामलों के विशेष न्यायधीश (साहीवाल) जैनुल्लाह खान ने शनिवार को अहसान राजा मसीह को मौत की सजा सुनाई और 10 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया. उन्होंने आतंकवाद रोधी अधिनियम और इलेक्ट्रॉनिक अपराध निषेध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कुल 22 साल कारावास की भी सजा सुनाई.
अगस्त 2023 में दो ईसाइयों द्वारा कुरान की कथित बेअदबी करने की खबर आने के बाद पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर से करीब 130 किलोमीटर दूर फैसलाबाद जिले के जरनवाला तहसील में बड़े पैमाने हिंसा हुई थी. भीड़ ने कम से कम 24 गिरिजाघरों और ईसाई समुदाय के 80 घरों को आग के हवाले कर दिया था.
घटना के बाद पुलिस ने करीब 200 मस्लिमों को हिरासत में लिया था लेकिन अबतक उनमें से किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया है. इनमें से 188 को अदालत ने या तो सबूतों के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया है या जमानत पर रिहा कर दिया है.
ऑल माइनॉरिटी अलायंस के अध्यक्ष अकमल भट्टी ने कहा कि एक साल बीत जाने के बावजूद जरनवाला में ईसाईयों के घरों और प्रार्थना स्थलों को आग के हवाले करने वाले एक भी व्यक्ति (मुस्लिम) को सजा नहीं हुई है.
भट्टी ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘मुश्किल से 12 मुस्लिम इस समय मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं और बाकी को यह तो आरोप मुक्त कर दिया गया है या उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.’
इस घटना के बाद पाकिस्तान सरकार ने बड़े-बड़े दावे करते हुए कहा था कि चर्चों और ईसाई घरों को जलाने में शामिल एक भी संदिग्ध को नहीं बख्शा जाएगा.
पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप आम बात है. देश के ईशनिंदा कानूनों के तहत, इस्लाम या इस्लामी धार्मिक हस्तियों का अपमान करने का दोषी पाए जाने पर मौत की सज़ा दी जा सकती है.
देश में ईशनिंदा के ज़्यादातर मामले मुख्य रूप से शिकायतकर्ता और आरोपी पक्षों के बीच दुश्मनी को दूर करने के लिए दर्ज किए जाते हैं. ईसाई और हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों पर अक्सर ईशनिंदा के आरोप लगते रहे हैं.
पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 2021 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 96.47 प्रतिशत मुसलमान हैं, इसके बाद 2.14 प्रतिशत हिंदू, 1.27 प्रतिशत ईसाई, 0.09 प्रतिशत अहमदिया मुसलमान और 0.02 प्रतिशत अन्य हैं.