सुपौल : सुपौल जिले के किशनपुर प्रखंड अंतर्गत कटहरा कदमपुरा पंचायत के वार्ड 01 और 03 में सोमवार को दिन के करीब 3:30 बजे अचानक आग लग गई। ट्रांसफार्मर के तार और केले के पत्ते के टकराने से निकली चिंगारी ने 25 परिवारों के 80 से अधिक घरों को जलाकर राख कर दिया। हादसे में घर में रखे सभी सामान, नकदी, अनाज और कपड़े जल गए। वही कई मवेशियों की झुलसने से मौत हो गई।
स्थानीय लोगों के अनुसार, ट्रांसफार्मर के तार से केले के पत्ते लगातार टकरा रहे थे। इसी दौरान चिंगारी निकलने से पास के एक घर में आग लग गई। पछुआ हवा के कारण आग तेजी से फैली और देखते ही देखते 80 से अधिक घर इसकी चपेट में आ गए। जब तक लोग कुछ समझ पाते, आग पूरे मोहल्ले में फैल चुकी थी। स्थानीय लोग आग बुझाने के प्रयास में जुट गए। वही दमकल को भी घटना की सूचना दी गई।
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग आग बुझाने में जुट गए। लेकिन आग की लपटें इतनी तेज थी कि कोई भी सामान घर से बाहर नहीं निकाला जा सका। इधर, ग्रामीणों की सूचना पर दमकल की तीन गाड़ियां मौके पर पहुंची। जहां ग्रामीणों और दमकल कर्मियों ने करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। ग्रामीणों ने बताया कि आग लगने के समय ज्यादातर लोग खेतों में काम कर रहे थे। यहीं वजह रही कि वे घरों से कोई सामान नहीं निकाल पाए। कई लोगों के मवेशी भी दरवाजे पर बंधे हुए थे, जो झुलस कर मर गए।
अग्निपीड़ितों में महेंद्र ठाकुर के 4 घर, पवन ठाकुर के 4 घर,योगेंद्र ठाकुर के 2 घर, छोटेलाल ठाकुर के 7 घर, सिकंदर ठाकुर के 4 घर, लक्ष्मण यादव के 3 घर, बिजेंद्र ठाकुर के 4 घर, सुरेंद्र ठाकुर के 4 घर और 1 गाय, फुलेंद्र ठाकुर के 3 घर,उमेश यादव के 4 घर, सिको यादव के 4 घर, महेंद्र यादव के 2 घर, बिजेंद्र यादव के 3 घर और थ्रेसर, चंद्रकिशोर यादव के 2 घर, मनोज यादव के 2 घर, शिवराम यादव के 2 घर, आनंद कुमार के 2 घर और 2 मवेशी, राहुल कुमार के 2 घर और बकरी, दिलखुश कुमार के 2 घर, कुंदन कुमार के 2 घर और बछड़ा, नरेश ठाकुर के 4 घर और 3 बाछी शामिल हैं।
इधर, घटना की जानकारी मिलते ही अंचलाधिकारी सुशीला कुमारी भी मौके पर पहुंची। उन्होंने बताया कि तत्काल पीड़ितों को पॉलिथीन दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य राहत सामग्री की व्यवस्था भी की जा रही है, जिसे जल्द ही सभी पीड़ित परिवारों के बीच वितरित किया जाएगा। पीड़ितों के क्षति आंकलन के लिए कर्मचारी को निर्देश दिए गए हैं। वही घटना के बाद से पीड़ितों का बुरा हाल है।