झारखंड : बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी लागू होगी नई उत्पाद नीति

Jharkhand-UTPAAD

रांची : बिहार की तर्ज पर अब झारखंड में हेमंत सरकार नई उत्पाद नीति लाने के तैयारी में है। जानकारी के अनुसार, राज्य में नई उत्पाद नीति एक मई से लागू हो सकती है। नई उत्पाद नीति के अनुसार, पूर्व की भांति खुदरा शराब की बिक्री हो सकेगी। इसके लिए दुकानों की खोज भी की जा रही है।

नई उत्पाद नीति का मुख्य उद्देश्य होगा, राज्य सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के राजस्व को बढ़ाना। वहीं, झारखंड शराब व्यापारी संघ ने सरकार के नई उत्पाद नीति का स्वागत किया है।

काफी चर्चा के बाद झारखंड सरकार राज्य में नई उत्पाद नीति लागू करने जा रही है। आगामी एक मई से राज्यभर  में नई उत्पाद नीति के अनुसार शराब की बिक्री की जाएगी। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने इसका ड्राफ्ट राजस्व पर्षद, वित्त विभाग और विधि विभाग को भेज दिया है।

इस पर विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने जानकारी देते हुए बताया कि नई नीति को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न विभागों से सहमति ली जा रही है। जैसे ही कैबिनेट से मंजूरी मिलेगी, नई उत्पाद  नीति को तत्काल रूप से लागू करा दिया जाएगा। नई नीति का मुख्य उद्देश्य उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के राजस्व को बढ़ाना है। फिलहाल, विभाग का वार्षिक राजस्व लक्ष्य 2700 करोड़ है, जिसे बढ़ाकर 3500-3800 करोड़ करने की योजना है।

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा नई उत्पाद नीति लागू किए जाने से राज्य के शराब व्यापारी उत्साहित हैं। झारखंड शराब व्यापारी संघ ने नई उत्पाद नीति का स्वागत किया है। संघ के महासचिव सुबोध जायसवाल ने कहा, झारखंड सरकार द्वारा नई नीति लाया जा रहा है। यह वाकई में स्वागत योग्य है।

सरकार के द्वारा 40 पेज का SOP हम शराब व्यापारियों को दिया गया है, जिसे हम लोग पढ़ रहे हैं समझ रहे हैं। हमें देखना है कि राज्य के दो हित में पहला राज्य सरकार का राजस्व हित उसी पर सब कुछ निर्भर है। एसोसिएशन नहीं चाहती सिर्फ शराब व्यापारियों का फायदा हो, सरकार का भी राजस्व बढ़े। व्यापारी खुश रहेंगे तो राज्य भी खुश रहेगा। इसलिए व्यापारी चाहता है, जितना सरकार सुविधा देगी उस हिसाब से व्यापारी धंधा कर राज्य सरकार का राजस्व बढ़ाने में अपना योगदान देगा।

नई उत्पाद नीति के तहत राज्य की 1500 से अधिक शराब की खुदरा दुकानें निजी हाथों को सौंपी जाएंगी। इन दुकानों को लॉटरी के माध्यम से छोटे समूहों को आवंटित किया जाएगा। लॉटरी प्रक्रिया में समय लगने के कारण अब इसे एक अप्रैल के बजाय एक मई से लागू करने का निर्णय लिया गया है।

गत सोमवार को उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने विभागीय अधिकारियों और एनआईसी के अफसरों के साथ बैठक कर नीति के हर पहलू की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि करना है। नई नीति के लागू होने से झारखंड में शराब की बिक्री और वितरण व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अब सरकार की मंजूरी के बाद नीति के औपचारिक क्रियान्वयन की प्रतीक्षा की जा रही है।