वाराणसी : शहर के 70 फीसदी मुस्लिम और 30 फीसदी हिंदू मोहल्लों के नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई है। पहले चरण में 50 से ज्यादा मोहल्लों के नाम बदलने का खाका तैयार किया जा रहा है। इस काम में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्वान लगाए गए हैं, जो पौराणिक मान्यता के आधार पर मोहल्लों के नए नाम का ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं।
आगामी 20 दिनों में यह ड्राफ्ट नगर निगम को दिया जाएगा, फिर प्रस्ताव नगर निगम की कार्यकारिणी और सदन में आएगा। इस पर विधिवत चर्चा होगी, फिर नाम बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई जाएगी। अभी तक जो ड्राफ्ट बना है, उसके मुताबिक खालिसपुरा का नाम ब्रह्मतीर्थ, मदनपुरा का पुष्पदंतेश्वर और औरंगाबाद का नाम परशुराम चौक करने की तैयारी है।
भाजपा पार्षदों ने मोहल्लों के नाम बदलने का मसौदा नगर निगम प्रशासन के समझ रखा था। इस पर सैद्धांतिक सहमति बनी, फिर काशी खंडोक्त और पौराणिक आधार पर मोहल्लों के नए नाम तय करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इनमें मुस्लिम और हिंदू मोहल्लों के नाम शामिल हैं। 70 फीसदी मुस्लिम तो 30 फीसदी हिंदू मोहल्ले हैं।
जिन मोहल्लों में पौराणिक देवी और देवता विद्यमान हैं, उन्हीं के आधार पर नाम बदला जाएगा। खालिसपुरा का नाम ब्रहमतीर्थ किए जाने का खाका तैयार किया गया है। इसी तरह औरंगाबाद का नाम परशुराम चौक करने की तैयारी है।
काशी खंडोक्त में इस क्षेत्र को भगवान परशुराम का कहा गया है। कज्जाकपुरा का नाम अनारक तीर्थ, अंबिया मंडी का अमरेश्वर तीर्थ और पीलीकोठी का स्वर्ण तीर्थ करने की तैयारी है। मदनपुरा, रेवड़ी तालाब के नाम बदलने का खाका भी तैयार किया गया है।
सनातन रक्षक दल ने भी हाल ही में मेयर अशोक कुमार तिवारी और नगर आयुक्त अक्षत वर्मा को पत्र दिया था। इसमें खालिसपुरा, गोल चबूतरा, औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग रखी गई थी। बीएचयू के एक कार्यक्रम में आए जगदगुरु रामभद्राचार्य ने भी मुगल काल की याद दिलाने वाले मोहल्लों के नाम बदलने की मांग की थी। इसे लेकर भाजपा पार्षदों ने गोलबंदी भी शुरू कर दी।
मोहल्ले के नाम बदलने के लिए नियम है कि पहले स्थानीय लोगों की राय ली जाए। अधिकतर लोगों की सहमति लिखित लेने के बाद प्रस्ताव तैयार किया जाता है। इसे स्थानीय निकाय के पास भेजा जाता है। वहां समीक्षा के बाद इसका अनुमोदन होता है। इसके बाद अधिसूचना जारी की जाती है। इसके बाद नाम बदल जाता है।
जिन मोहल्लों का नाम बदला जाता है। वहां के लोगों को अपने सभी रिकाॅर्ड में नाम बदलवाने की चुनौती होती है। इसके अलावा रेलवे और डाक विभाग को भी सूचित करना पड़ता है। कई बार रिकॉर्ड सुधारने में महीनों लग जाते हैं। इस नाते लोगों को दिक्कतें हो सकती हैं।
पिछले दिनों में प्रदेश के कई शहरों का नाम स्टेशन का नाम बदला गया, लेकिन नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ा। आज भी लोग पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन को मुगलसराय के नाम से ही कहते हैं और प्रयागराज को इलाहाबाद के नाम से बुलाते हैं। हालांकि सरकारी दस्तावेजों में प्रयागराज और पीडीडीयूनगर ही लिखा जाता है।
नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार को दिन में 12 बजे मेयर अशोक कुमार तिवारी की अध्यक्षता में होगी। इसमें औरंगाबाद का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर या नारायणी धाम नगर करने पर चर्चा होगी। इस आशय का आदेश बुधवार को कार्यकारिणी सदस्यों को जारी हो गया है।
इसमें तंबाकू उत्पाद विक्रय, दुकानों के किराए में वृद्धि, बिरला अस्पताल के लीजरेंट, विज्ञापन और अनुज्ञा शुल्क, एसटीपी के रखरखाव के लिए वन सिटी वन ऑपरेटर, 11 पार्कों में डेयरी प्राॅडक्ट, निष्प्रयोज्य सामग्री के नीलामी आदि पर चर्चा की जाएगी।
इसके अलावा 12 नगर निगम के कार्यकारिणी सदस्यों के प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। मेयर अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि आगामी गर्मी और बारिश की तैयारियों पर चर्चा होगी। इसके अलावा कई अन्य बिंदुओं पर चर्चा कर शहर के बेहतर विकास की रूपरेखा तैयार की जाएगी।