‘शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को अंतरिक्ष से धरती पर लौटेंगे’, नासा का एलान

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वॉशिंगटन : एक्सिओम-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य चालक दल के सदस्य 14 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से धरती पर लौटेंगे। नासा के वाणिज्यिक चालक दल कार्यक्रम के प्रबंधक स्टीव स्टिच ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं। हम एक्सिओम-4 की प्रगति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। 

हमें उस मिशन को अनडॉक करना होगा। अनडॉक करने का वर्तमान लक्ष्य 14 जुलाई है। इससे पहले एक्सिओम-4 मिशन को 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। ड्रैगन अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक किया गया था।

शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 अक्तूबर 1985 को हुआ था। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे शुभांशु लखनऊ के अलीगंज में स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़े और 2001 में स्कूली शिक्षा पूरी की।

शुभांशु का परिवार मूलतः उत्तर प्रदेश के ही हरदोई स्थित संडीला से है। हालांकि, उनके पिता शंभू दयाल शुक्ल सत्तर के दशक में लखनऊ आ गए थे। उनकी मां गृहिणी हैं। वहीं, दो बहनें निधि और शुचि हैं। 

शुभांशु की पत्नी डॉ. कामना डेंटिस्ट हैं और उनका एक बेटा (कियास) है। शुभांशु को परिजन प्यार से गुंजन बुलाते हैं। 2003 में उन्हें एनडीए में चुना गया। ट्रेनिंग के बाद शुभांशु ने विमानन क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की और भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने।

17 जून 2006 को शुभांशु भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को उड़ाने वाले बेड़े का हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने करियर में आगे बढ़ते हुए 2019 में उन्होंने विंग कमांडर की रैंक हासिल की। शुभांशु फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग दो हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने एसयू-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 समेत कई तरह के विमान उड़ाए हैं।

2019 ही वह साल था, जब भारत ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन- गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्री की खोज शुरू की थी। शुभांशु का सैन्य रिकॉर्ड और कॉम्बैट अनुभव यहीं अहम साबित हुआ और वे मिशन के लिए चुने जाने वालों में से एक बने।

भारतीय सेना में शामिल होने वाले शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं। उनके परिजन चाहते थे कि शुभांशु सिविल सेवा में जाएं या फिर डॉक्टर बनें, लेकिन वह तो सैन्य अधिकारी बनने की ठाने बैठे थे। उनके एनडीए में चयन की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।

शुभांशु ने सेना में जाने के लिए एसएसबी का फॉर्म भरा था। वहीं, उनका एक दोस्त एनडीए का फॉर्म लेकर आया, लेकिन दोस्त का मन पलट गया और उसने एनडीए का फॉर्म भरने से इन्कार कर दिया। शुरू से ही अवसर को भांपने में माहिर शुभांशु ने अपने दोस्त से एनडीए वाला फॉर्म ले लिया और खुद भर दिया। संयोग से शुभांशु का एसएसबी और एनडीए, दोनों में चयन हो गया, लेकिन उन्होंने एनडीए में जाने का निश्चय किया।

शुभांशु शुक्ल का टेस्ट पायलट होना उनके अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने की एक बड़ी वजह बना। हालांकि, अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्हें लंबी और कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है। भारत और रूस के बीच गगनयान मिशन की ट्रेनिंग के लिए हुए समझौते के तहत शुभांशु को साथी भारतवासियों के साथ 2021 में मॉस्को में गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया। 

यहां उन्हें जीरो ग्रैविटी से लेकर आपात प्रोटोकॉल्स और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशंस तक की ट्रेनिंग दी गई। भारत वापस आने के बाद शुभांशु इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेनिंग सेंटर में जारी परीक्षणों में भी शामिल रहे। 27 फरवरी 2024 को आखिरकार गगनयान मिशन के लिए जिन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम का एलान किया गया, उनमें एक नाम शुभांशु शुक्ल का भी था।

इसरो ने पिछले साल ही एलान किया था कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और एक और भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को आईएसएस के लिए भेजे जाने वाले भारत-अमेरिका के साझा मिशन के लिए चुना गया है। 

ऐसा नासा की तरफ से मान्यता प्राप्त सेवा प्रदाता एक्सिओम स्पेस इंक की सिफारिश पर किया गया। शुभांशु शुक्ल को एक प्रधान अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया। प्रधान अंतरिक्ष यात्री वह होता है, जिसे उड़ान भरने के लिए चुना जाता है। उनके अलावा प्रशांत बालकृष्णन नायर को एक बैकअप अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में अंतिम समय में अंतरिक्ष यात्री को बदलने की जरूरत होती है तो बैकअप ही इसके लिए तैयार रहता है।