यूपी : नकली दवा का सिंडिकेट, एक करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश

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आगरा : नकली दवा मामले के तार तमिलनाडु से भी जुड़ गए हैं। एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी हिमांशु तमिलनाडु से नामी कंपनियों के नाम की एंटी एलर्जी, मधुमेह, जुकाम-खांसी, मधुमेह, दर्द निवारक दवाएं मंगवाता था। इस पर नकली क्यूआर कोड और बैच नंबर दर्ज कर बिक्री की जा रही थी। इसके लिए फर्जी फर्म का भी उपयोग किया जा रहा था।

सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि आरोपी जायडस, सनफार्मा, ग्लैनमार्क, सनोफी समेत 10 कंपनियाें के नाम से दवाएं तमिलनाडु के चेन्नई से मंगवाता था। दवाएं आसानी से पकड़ में न आएं, इसलिए उनपर कंपनी का फर्जी क्यूआर कोड और बैच नंबर भी दर्ज कराता था। जब टीम ने इसके गोदाम और मेडिकल स्टोर से जब्त दवाओं का मिलान कंपनी की वास्तविक दवाओं से किया तो कोई अंतर नहीं मिला।

टीम के प्रतिनिधि ने दवाओं पर दर्ज क्यूआर कोड और बैच नंबर को नकली बताया। इन दवाओं की बिक्री के लिए फर्जी फर्म का उपयोग किया जाता था। ये दवाएं कहां-कहां बेच जाती हैं, क्यूआर कोड और बैच नंबर कौन दर्ज कराता है, इसकी जांच की जा रही है। तमिलनाडु सरकार को भी इसके बारे में रिपोर्ट भेज रहे हैं।

बंसल मेडिकल एजेंसी और हेमा मेडिको की स्टेट जीएसटी ने भी जांच शुरू कर दी है। टीम ने दवा कारोबारियों से फर्म से किए गए कारोबार के बिल समेत अन्य की जानकारी जुटाई है। जीएसटी के अधिकारियों का मानना है कि दवा कारोबारी जीएसटी की हेराफेरी की भी आशंका है। एक करोड़ रुपये के रिश्वत देने के मामले में अब फर्म की आयकर विभाग भी जांच करेगा।

आगरा में एसटीएफ और औषधि विभाग की टीम ने फव्वारा स्थित बंसल मेडिकल एजेंसी और हेमा मेडिकल स्टोर समेत 4 गोदामों पर छापा मारा। जांच में हेमा मेडिको और इसके गोदाम से 2.43 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त की हैं। बीते दिन 80 लाख रुपये की दवाएं जब्त की थीं। अभी दो गोदाम और स्टोर पर रविवार को जांच होगी। 
कार्रवाई रोकने के लिए हेमा मेडिकल स्टोर के संचालक ने एसटीएफ निरीक्षक और सहायक आयुक्त औषधि बस्ती को एक करोड़ रुपये की रिश्वत दी। रकम कम लगने पर दोगुना करने की भी बात कही। इस पर टीम ने आरोपी को रंगे हाथ पकड़ लिया। दवा कारोबारी को गिरफ्तार कर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। देर रात तक तीन और केस दर्ज किए जा रहे हैं।

आगरा की नकली दवाओं की कालाबाजारी का जाल 11 राज्यों तक फैला हुआ है। यहां से नशे की दवाओं के अलावा सरकारी और एक्सपायर्ड दवाओं को री-पैकिंग कर भेजा जाता है। नशे के लिए तैयार हो रहे कफ सिरप की कालाबाजारी बांग्लादेश तक है। एसटीएफ, औषधि विभाग और एंटी नारकोटिक्स टॉस्क फोर्स ने बीते 10 साल में करीब 300 करोड़ रुपये की दवाएं जब्त कर कार्रवाई की है।

आगरा से उत्तर प्रदेश के कई जिलों के अलावा, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में दवाएं जब्त की गई हैं। इन राज्यों की टीम ने आगरा में कई बार गोदाम और मेडिकल एजेंसी पर छापा मारकर आरोपियों को पकड़ा।

दवाओं के नमूने जांच में नकली भी मिले। यहां तक कि आगरा में नकली दवाओं की फैक्टरियां भी पकड़ी जा चुकी हैं। सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि इन सभी पर कार्रवाई की और कोर्ट में मामला चल रहा है। जांच में बीते दो साल में 40 दवाएं नकली मिल चुकी हैं।

जिला आगरा केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आशु शर्मा का कहना है कि कुछ लोग नकली और नशे की दवाओं की कालाबाजारी कर रहे हैं, इससे सभी दवा व्यापारी बदनाम हो रहे हैं। प्रदेश सरकार से मांग है कि दवा माफिया को पकड़ने के लिए सीबीआई जांच की संस्तुति करें।