भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग का नया अध्याय

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वॉशिंगटन : भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे है। जहां एक तरफ राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ के चलते दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग के दिशा में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। 

इस बात का संकेत अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में दोनों देशों ने दिया। यह आयोजन ‘भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग: भविष्य की साझेदारी की सीमाएं’ नाम से सोमवार को इंडिया हाउस में हुआ, जिसमें दोनों देशों के अधिकारियों और अंतरिक्ष यात्रियों ने हिस्सा लिया।

बता दें कि इस कार्यक्रम में नासा-इसरो के संयुक्त उपग्रह निसार मिशन और एक्सिओम मिशन-4 का जश्न मनाया गया, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) तक भेजा गया था। कार्यक्रम में अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, निक हेग और बुच विलमोर ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया और अंतरिक्ष जीवन के अनुभव साझा किए।

वहीं इस मामले में भारत के अमेरिकी राजदूत विनय क्वात्रा ने इसे विज्ञान, तकनीक और वाणिज्यिक साझेदारी के लिए एक मजबूत मंच बताया। उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब कम लागत में बड़ी उपलब्धियों के लिए जाना जाता है और अमेरिका के साथ यह इसके साथ ही नासा की डॉ करेन सेंट जर्मेन ने निसार को एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मॉडल बताया। 

साथ ही कहा कि जब दो देश अपने अनुभव साझा करते हैं, तो वैज्ञानिक प्रगति तेज होती है। इसके अलावा शुभांशु शुक्ला ने कहा कि उनका अंतरिक्ष सफर अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की ताकत और भारत की वैश्विक भूमिका का प्रमाण है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका के गहरे होते अंतरिक्ष संबंध केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अहम हैं। यह सहयोग चीन की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने की दिशा में भी एक अहम कदम है। इसके अलावा, कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि अब दोनों देश सिर्फ सैटेलाइट प्रक्षेपण या डाटा साझा करने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मानवयुक्त मिशन और व्यवसायिक अंतरिक्ष अन्वेषण में भी मिलकर काम कर रहे हैं।