नई दिल्ली : असम में बहुप्रतीक्षित बहुविवाह प्रथा पर रोक लगाने वाले बिल को मंजूरी मिल गई है. असम की हिमंता सरकार ने इस बिल को मंजूरी देने के बाद कहा ऐसे मामलों में पीड़ितों को मुआवजा भी दिया जाएगा. इसके पहले हिमंता सरकार ने बहुविवाह प्रथा पर रोक लगाने वाले के इस बिल को 25 नवंबर को शीत कालीन सत्र से कुछ ही समय पहले विधानसभा में लाने की तैयारी थी लेकिन अचानक ही असम कैबिनेट ने इसे विधानसभा में मंजूरी दे दी. इस बिल के मुताबिक अब असम में किसी भी शख्स के लिए बहुविवाह करना अपराध होगा. अगर इस पर पीड़ित महिलाओं ने शिकायत दी तो ऐसे लोगों को सजा का सामना करना पड़ेगा.
इसके पहले सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने 27 अक्टूबर इस बात का ऐलान किया था कि राज्य में जल्दी ही बहुविवाह प्रथा को रोकने के लिए कानून बनाया जाएगा. उन्होंने कहा था कि इस बिल में बहुविवाह और लव जिहाद जैसी कुप्रथाओं को लक्षित करने वाले विधेयक शामिल थे. हिमंता सरकार ने इसके साथ ही ‘मुख्यमंत्री निजूत मोइना’ योजना का भी विस्तार किया था. इस योजना के तहत असम सरकार वहां की लड़कियों की शिक्षा को बढ़ाने पर फोकस करेगी. इसके लिए वो लड़कियों को मासिक वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी. इसके मुताबिक असम सरकार यहां की कक्षा 11 की छात्राओं को हर महीने 1,000 रुपये, स्नातक के पहले वर्ष की छात्राओं को 1,250 रुपये और स्नातकोत्तर व बीएड के पहले वर्ष की छात्राओं को 10 महीने तक 2,500 रुपये दिए जाएंगे.
हालांकि देश में इसके पहले से भी बिना तलाक दिए हुए दूसरी शादी करना कानून अपराध रहा है. इस कानून के मुताबिक जब तक आप पहली शादी को तलाक देकर खत्म नहीं कर देते हैं तब तक वो दूसरी शादी नहीं कर सकता है. अगर शख्स ने ऐसा कदम उठाया तो ऐसे में पीड़ित महिला की शिकायत पर ऐसे पुरुष को 7 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है. देश में ये नियम सिवाय मुस्लिम पर्सनल लॉ के अलावा सभी धर्मों पर लागू है. इसमें पुरुषों को सीमित शर्तों के साथ एक विवाह की अनुमति है.
इसके पहले असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया था कि इस योजना के अच्छे नतीजे सामने आए हैं. उन्होंने कहा था,’इस योजना की वजह से पिछले साल की तुलना में लड़कियों के नामांकन दर में वृद्धि हुई है और स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में काफी कमी आई है। इस साल कुल 3.5 लाख लड़कियां इस योजना से लाभान्वित होंगी.’
