सूर्य के सबसे करीबी बुध ग्रह में मिली हीरे की मौजूदगी, चीन के वैज्ञानिक का दावा 

Planet-Diamond

नई दिल्ली/बीजिंग-NewsXpoz : सूर्य के सबसे करीबी बुध ग्रह में बड़ी मात्रा में हीरे की मौजूदगी का पता चला है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस ग्रह की सतह के नीचे हीरे की एक मोटी परत हो सकती है। बीजिंग में सेंटर फॉर हाई प्रेशर साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च के वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक यानहाओ लिन ने कहा कि बुध की अत्यधिक उच्च कार्बन सामग्री ये बताती है कि शायद इस ग्रह के अंदर कुछ खास हुआ है।

उन्होंने बताया कि बुध ग्रह में एक चुंबकीय क्षेत्र है। हालांकि, यह पृथ्वी की तुलना में बेहद कमजोर है। इसके साथ ही नासा के मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने अपने अध्ययन में बुध की सतह पर असामान्य रूप से काले क्षेत्रों की खोज की है। इसे ग्रेफाइट के रूप में पहचाना गया है। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ग्रह की संरचना और असामान्य चुंबकीय क्षेत्र पर प्रकाश डालते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रहों का निर्माण संभवतः एक गर्म लावा महासागर के ठंडा होने से हुआ है। इसी तरह अन्य स्थलीय ग्रहों का विकास हुआ। इसके अलावा यह ग्रह संभवतः सिलिकेट और कार्बन से भरा हुआ था। ग्रह की बाहरी परत और मध्य मेंटल का निर्माण मैग्मा के क्रिस्टल में बदलने से हुआ था, जबकि धातुओं ने पहले इसके भीतर जमकर एक केंद्रीय कोर का निर्माण किया।

ये हो सकती है हीरे बनने की वजह : 2019 में किए गए एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, बुध ग्रह का मेंटल पहले की तुलना में 50 किलोमीटर (80 मील) गहरा हो सकता है। इससे मेंटल-कोर सीमा पर तापमान और दबाव में काफी वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी परिस्थितियां पैदा होंगी जहां कार्बन हीरे में क्रिस्टलीकृत हो सकता है। कई वर्षों तक वैज्ञानिक मेंटल में तापमान और दबाव को कार्बन के लिए सही मानते रहे, जिसमें ग्रेफाइट बनती है। मेंटल से हल्का होने के चलते यह सतह पर तैरता रहता है।

प्रयोगशाला में तैयार की गई ग्रह की दबाव स्थिति : बेल्जियम और चीन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने इस संभावना को देखने के लिए कार्बन, सिलिका और लोहे का उपयोग करके रासायनिक मिश्रण तैयार किए। शोधकर्ताओं ने इन मिश्रणों में आयरन सल्फाइड की अलग-अलग सांद्रताएं डालीं। वैज्ञानिकों ने मल्टीपल-एनविल प्रेस का उपयोग करके रासायनिक मिश्रणों को 7 गीगापास्कल का दबाव दिया।

पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव से 70,000 गुना है अधिक…दबाव की यह मात्रा यह समुद्र तल पर पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव से 70,000 गुना अधिक है। ये कठोर परिस्थितियां बुध के भीतर गहराई में पाई जाने वाली परिस्थितियों को दर्शाती हैं। बुध के कोर-मेंटल सीमा के पास तापमान और दबाव की सटीक माप के लिए कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया।

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