पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान क्यों नहीं भाग पाए आतंकी, गृह मंत्री ने बताया

amit-shah-pahalgaam

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई चर्चा में हिस्सा लिया। शाह ने इस दौरान सदन को जम्मू-कश्मीर में चलाए गए ऑपरेशन महादेव की भी जानकारी दी। गृह मंत्री ने बताया कि कैसे भारत के सुरक्षाबलों ने तीन महीने तक लगातार पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकियों की खोज की और सोमवार (28 जुलाई) को आखिरकार इन पाकिस्तानी दहशतगर्दों को मार गिराया।

इस दौरान गृह मंत्री ने पहलगाम हमले के बाद से लेकर ऑपरेशन महादेव तक की पूरी टाइमिंग का जिक्र किया। साथ ही यह भी बताया कि भारतीय सुरक्षाबलों ने आखिरकार पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीनों दहशतगर्दों को ढेर कर दिया।

अमित शाह ने बताया कि जिस दिन पहलगाम हमला हुआ उसी रात को एक सुरक्षा मीटिंग हुई थी। उन्होंने कहा, “1 बजे हमला हुआ और मैं 5.30 बजे श्रीनगर में उतर चुका था। 23 अप्रैल को एक सुरक्षा मीटिंग की गई। सभी सुरक्षाबल के अहम अंग उसमें मौजूद थे। इस मीटिंग में फैसला हुआ कि जो नृशंस हत्यारे हैं वे देश छोड़कर पाकिस्तान भाग न पाएं। इसकी हमने पुख्ता व्यवस्था की और भागने नहीं दिया।”

पहलगाम आतंकी हमले में शामिल दहशतगर्दों को खोजने के लिए ऑपरेशन महादेव की शुरुआत 22 मई 2025 को हुई। आईबी के पास इस दिन एक मानवीय खुफिया जानकारी आई। सामने आया कि दाचिगाम क्षेत्र के अंदर आतंकी मौजूद हैं।

आईबी और सेना ने इसके बाद अल्ट्रा सिग्नल कैप्चर करने के लिए जो इंस्ट्रूमेंट बनाए गए हैं, उन्हें तैनात किया गया। 22 मई से 22 जुलाई तक लगातार आतंकियों के सिग्नल ढूंढने के प्रयास किए गए। ठंड में ऊंचाइयों पर सेना के अधिकारी लगातार पैदल सिग्नल की खोज में जुटे रहे। आईबी के अफसर और सीआरपीएफ के जवान भी इस काम में लगे रहे।

हमें सफलता मिली सेंसर्स के माध्यम से आतंकवादियों के इस जंगल में छिपे होने की पुष्टि हो गई। इसके बाद चार पैरा (सैन्य टुकड़ी) उसके नेतृत्व में सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान एक साथ आतंकियों को घेरने के काम में जुट गए। इनके लिए बैठक भी की गई। कल (28 जुलाई को) जो ऑपरेशन हुआ, उसके बाद तीनों आतंकी मौत के घाट उतार दिए गए।

कल ऑपरेशन महादेव सुलेमान उर्फ फैजल जाट, अफगान, और जिबरान मारे गए हैं। इन्हें सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में मार गिराया गया। सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का कमांडर था। यह पहलगाम से पहले गगनगीर आतंकी हमले में लिप्त था। इसके ढेर सारे सबूत हमारी एजेंसी के पास हैं। अफगान ए श्रेणी का लश्कर का आतंकी था और जिबरान भी ए ग्रेड का आतंकी था। ये तीनों ही आतंकी पहलगाम हमले में भारतीयों को मारने वालों में थे और हमारे सुरक्षाबलों ने तीनों को ही मार गिराया।

  1. गृह मंत्री ने कहा, “लेकिन यह तो सिर्फ आशंका थी कि इन्हीं लोगों ने घटना को अंजाम दिया। इसलिए एनआईए ने पहले से ही उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने इन आतंकियों को पनाह दी थी और इन्हें खाना पहुंचाने का काम किया था। तो जब आतंकियों के शव श्रीनगर आए इनसे पहचान कराई गई। चार लोगों ने पहचान लिया कि यही तीन लोग थे, जिन्होंने पहलगाम में आतंकी घटना को अंजाम दिया।”
  2. उन्होंने कहा, “हमने उन पर भी भरोसा नहीं किया। हमें जो पहलगाम में आतंकी घटना वाले स्थल से जो कारतूस मिले थे, उनकी एफएसएल रिपोर्ट पहले से करा रखा था। चंडीगढ़ सेंट्रल एफएसएल के अंदर बैलिस्टिक रिपोर्ट के आधार पर उनकी पहचान की तैयारी थी। कल जो आतंकी मारे गए इनकी तीन राइफलें पकड़ी गईं। एक अमेरिकी एम9 राइफल थीं और दो एके-47 राइफल थीं। जो कारतूस थे, वे भी एम9 और एके-47 के थे।”
  3. इसके आगे अमित शाह बोले- “हम इनसे भी नहीं माने। आतंकियों से जो हथियार बरामद हुए, उन्हें एक विशिष्ट विमान द्वारा एफएसएल चंडीगढ़ पहुंचाया गया और पूरी रात फायरिंग कर इसके भी खाली खोखे जेनरेट किए गए। दो खोखों का मिलान किया गया। राइफल की नली और निकले हुए खोखों का भी मिलान किया गया, तब यह तय हो गया कि इन्हीं तीन राइफलों से हमारे निर्दोष नागरिक मारे गए थे।”
  4. गृह मंत्री ने बताया कि बैलिस्टिक रिपोर्ट मेरे पास है। छह वैज्ञानिकों ने इसे क्रॉसचेक किया है। सुबह 4 बजे छह वैज्ञानिकों ने मुझे वीडियो कॉल पर कहा है कि यह वही गोलियां हैं, जो पहलगाम में चलाई गईं।
  5. एनआईए ने जांच के दौरान मृतकों के परिजन, जो उनके साथ में थे, खच्चरवालों, फोटोग्राफरों, कर्मचारियों, अलग-अलग दुकानों में काम करने वाले लोगों समेत कुल 1055 लोगों की लंबी 3000 घंटे से ज्यादा की पूछताछ जानकारी जुटाने के लिए की गई। बाद में इसके आधार पर स्केच बनाया गया।
  6. अमित शाह ने बताया कि ढूंढते-ढूंढते 22 जून 2025 को एक बशीर और परवेज की पहचान की गई, जिन्होंने आतंकी घटना के अगले दिन दहशतगर्दों को शरण दी। दोनों अपराधियों ने खुलासा किया कि 21 अप्रैल 2025 की रात को तीन आतंकवादी बायसरन से दो किलोमीटर दूर उनकी शरण में आए थे। इनके पास एके-47 और एम-9 कार्बाइन थीं।
  7. गिरफ्तार पनाह देने वालों ने बताया था कि आतंकियों ने काली पोशाक पहनी थी। वे खाना खाने के बाद काफी सारा भोजन और मिर्च-मसाले लेकर चले गए। जांच में सामने आया कि तीनों ही पाकिस्तानी आतंकी थे।” शाह ने दावा किया कि मारे गए तीन आतंकियों में से दो के पाकिस्तानी वोटर पहचान पत्र की जानकारी हमारे पास है। इनके पास से जो चॉकलेट हमें मिली, वो भी पाकिस्तान की बनाई हुई चॉकलेट्स हैं।