बिहार : IAS संजीव हंस के खिलाफ भ्रष्टाचार-बलात्कार के आरोप, राज्य सरकार ने सारे पद छीने

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पटना-NewsXpoz : नीतीश कुमार सरकार में पहली बार भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई होने जा रही है। सीनियर आईएएस अधिकारी संजीव हंस की किसी भी समय गिरफ्तारी हो सकती है। बिहार सरकार ने इस आशंका को देखते हुए उनसे सारे पद छीन लिए हैं। आईएएस संजीव हंस के खिलाफ ईडी ने भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति से जुड़े कई प्रमाण हासिल किए हैं और दूसरी तरफ पटना पुलिस ने उन पर लगे बलात्कार के आरोप को भी सही पाया है। इस जांच के दायरे में लगातार कई नाम जुड़ रहे हैं।

सारी जिम्मेदारियां एक झटके में छीन ली गईं : अभी कुछ दिन पहले तक संजीव हंस मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कई कार्यक्रमों में शिरकत करते या मंच साझा करते दिखे थे, लेकिन जब से प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी भौतिक जांच शुरू की तो राजनेताओं के साथ अफसरों ने भी उनसे दूरी बना ली थी। गुरुवार की शाम सरकार ने उनसे साफ-साफ और औपचारिक दूरी बना ली। उन्हें ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव के पद से भी हटा दिया गया और उनसे बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी भी वापस ले ली गई। उनकी जगह 1993 बैच के आईएएस अधिकारी संदीप पौंड्रिक को इन सभी जिम्मेदारियों का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। पौंड्रिक पहले से उद्योग विभाग में अपर मुख्य सचिव के साथ आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार के प्रबंध निदेशक की भूमिका निभा रहे हैं। 1997 बैच के आईएएस संजीव हंस के पास अब कोई जिम्मेदारी नहीं है और उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग में बगैर किसी भूमिका के अटैच कर लिया गया है।

वकील से बलात्कार केस में फंसे तो नहीं निकल सके : उनकी गिरफ्तारी पटना पुलिस बलात्कार के केस में करती है या भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति के मामले में ईडी उन्हें ले जाती है, यह 24 घंटे में शायद साफ हो जाए। दोनों में से किसी भी केस में उनकी गिरफ्तारी होती है तो राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव भी उनके साथ ही कार्रवाई के शिकार होंगे। दोनों ही तरह के जुर्म में दोनों का साथ प्रमाणित हुआ है। इस केस की शुरुआत लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के विधायक रहे गुलाब यादव से हुई थी। जब बिहार में तेजस्वी यादव के साथ सीएम नीतीश कुमार की पहली बार महागठबंधन सरकार बनी थी, तब गुलाब यादव विधायक थे। एक महिला अधिवक्ता को राज्य महिला आयोग की सदस्य बनाने के झांसे में पटना बुलाकर गुलाब यादव ने उनका बलात्कार किया था। महिला अधिवक्ता के मुताबिक जब उसने पुलिस में शिकायत की बात कही तो शादी का झांसा देकर गुलाब यादव ने उनकी मांग में सिंदूर डाल दिया।

लंबे समय तक जब इस रिश्ते को गुलाब यादव ने सामाजिक मान्यता नहीं दी तो बातचीत कर फिर झांसे में लिया गया। इस बार दूसरे राज्य के होटल में बुलाकर गुलाब यादव ने संबंध स्थापित किया। गुलाब यादव के साथ इस बार महिला का वास्ता आईएएस संजीव हंस से भी पड़ा। महिला ने आरोप लगाया कि वहां संजीव हंस ने भी बलात्कार किया। यह केस काफी बाद में पटना पुलिस ने दर्ज किया और अब जांच में महिला अधिवक्ता के आरोप सही साबित हो चुके हैं। मामला जब खुला तो मुंह बंद रखने और बयान बदलने के लिए महिला को इन दोनों ने 90 लाख रुपये बैंक ट्रांसफर से दिए और एक लग्जरी गाड़ी भी गिफ्ट की। पैसे का लेनदेन सामने आया तो ईडी की एंट्री हुई। ईडी ने संजीव हंस के ठिकानों पर छापेमारी और उनसे पूछताछ शुरू की तो उनके सरकारी पदों पर रहते हुए कंपनियों को फायदा पहुंचाने और इसके एवज में रुपये लेनदेन के दस्तावेज हाथ लगे।

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