धनबाद (अमन्य सुरेश) : अंग्रेज जमाने में निर्मित लगभग 100 वर्ष पुरानी रेल अंडरपास ब्रिज आज उपेक्षा का दंश झेल रही है। शहर के मटकुरिया में अवस्थित धनबाद-कुसुंडा-कतरास रेल मार्ग पर बना हुआ यह अंडरपास ब्रिज वर्तमान में उपेक्षा का शिकार हो चुका है। इस अंडरपास ब्रिज की ना तो रेलवे को चिंता है और ना ही जिला प्रशासन को। जिससे एक मजबूत अंडरपास ब्रिज जर्जर होने की राह पर है।
जरूरत है प्रशासनिक इच्छाशक्ति की : अगर जिले व रेलवे के जिम्मेवार अधिकारी समय रहते इस पर ध्यान दे तो शहर के वासेपुर-भूली की एक बड़ी आबादी को यातायात के लिए सुगम और शॉर्टकट मार्ग की सुविधा मिल जाएगी। जिससे बैंक मोड़ स्थित नया बाजार ओवरब्रिज तथा गया पूल अंडरपास पर ट्रैफिक लोड में काफी कमी आएगी। धनबाद-कुसुंडा रेल मार्ग पर मटकुरिया मुक्तिधाम के पास अवस्थित प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के वजह से गुमनामी के अंधेरे में डूबा हुआ है।
धनबाद में अनोखा तथा इकलौता अंडरपास ब्रिज : थोड़ी-बहुत रखरखाव और कुछ मीटर लंबी सड़क निर्माण तथा नाला के गंदे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था हो जाने से वासेपुर-भूली समेत अन्य इलाके के लोगों की कई समस्या और परेशानी दूर हो जाएंगी। यह अंडरपास ब्रिज धनबाद में अनोखा तथा इकलौता है, जो पुराने समय की कारीगरी का एक बेमिसाल उदाहरण है। इस अंडरपास ब्रिज की ऊंचाई और चौड़ाई देखते ही बनती है।
छोटे वाहनों के लिए एक शॉर्टकट रूट : स्थानीय लोगों की मानें तो अगर जिला प्रशासन और रेलवे संयुक्त रूप से मिलकर इस ब्रिज पर उचित ध्यान दे तो शहर की सड़कों पर से ट्रैफिक का लोड काफी कम हो जाएगा। क्योंकि यह पुल मटकुरिया को वासेपुर-भूली से सीधे तौर पर जोड़ती है। वासेपुर की ओर से देखा जाए तो ब्रिज के पास तक काफी अच्छी सड़क बनी हुई है। अंडरपास ब्रिज से मटकुरिया के बीच सड़क बना दी जाती है तो छोटी गाड़ियां और बाइक-ऑटो मटकुरिया-बैंक मोड़ से काफी कम समय मे वासेपुर-भूली पहुंच सकेगी। ऐसा हो जाने से केंदुआ-बोकारो की तरफ से आने-जाने वाले छोटे वाहनों को एक शॉर्टकट रूट उपलब्ध हो सकेगा।
मालूम हो कि लगभग 100 वर्ष पहले सीआइसी सेक्शन में धनबाद-कुसुंडा-कतरास रेल मार्ग शुरू करने के दौरान इस अंडरपास ब्रिज का निर्माण अंग्रेजों ने किया था। जो दिखने में धनबाद श्रमिक चौक स्थित गया पुल का ही विशाल रूप जैसा है।