जम्मू : जम्मू-कश्मीर में सोमवार को सुरक्षाबलों के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है। श्रीनगर के हारवन के जंगल क्षेत्र में सैन्य अभियान के दौरान जवानों ने तीन आतंकवादियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। मारे गए आतंकियों के पास एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल और दो एके सीरीज की राइफल मिली हैं। सुरक्षाबलों ने इस अभियान में पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाह और उसके दो साथियों- जिबरान और हमजा अफगानी को मार गिराया है। अधिकारियों के मुताबिक, अभियान को 24 राष्ट्रीय राइफल (आरआर) और 4 पैरा यूनिट के जवानों ने अंजाम दिया।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर जिस हाशिम मूसा के मारे जाने की खबरें सामने आ रही हैं, वह आखिर कौन है? पहलगाम हमले के बाद उसका नाम कैसे सामने आया था? उसका पाकिस्तान से क्या संबंध रहा है? पहलगाम हमले के तीन महीने बाद भारतीय सेना ने उसे कैसे खोजकर मार गिराया?
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकियों ने मासूम पर्यटकों पर हमला कर दिया था और 26 लोगों को मार गिराया था। इस घटना के बाद पीड़ितों की तरफ से आतंकियों के बारे में जो जानकारी दी गई थी, उस आधार पर उनके स्केच जारी किए गए थे। जांच एजेंसियों ने इसके आधार पर कहा था कि हमले में तीन आतंकी शामिल थे। इनमें से एक आतंकी के पाकिस्तान के हाशिम मूसा होने का दावा किया गया था।
सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से आतंकी की पहचान जारी किए जाने के बाद हाशिम मूसा की पहचान को लेकर भी कई खुलासे हुए। एक रिपोर्ट में बताया गया कि हाशिम मूसा पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ काम कर रहा था। उसको लश्कर के आकाओं ने गैर-कश्मीरी लोगों और सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए एक खास मिशन पर कश्मीर भेजा था। तब यह आशंका जताई गई थी कि पाकिस्तान के विशेष सेवा बलों (एसएसजी) की तरफ से ही लश्कर को आतंकी हमले के लिए मूसा का नाम सुझाया गया और वह भारत पर हमले का मास्टरमाइंड रहा।
गौरतलब है कि एसएसजी के पैरा-कमांडो होने की वजह से मूसा अपरंपरागत युद्ध में उच्च प्रशिक्षित बताया गया था। ऐसे कमांडो गुप्त अभियानों में विशेषज्ञ होते हैं। ये कमांडोज हर तरह के मौसम में ऑपरेशन करने के साथ ही मानसिक और शारीरिक लेवल पर काफी फिट होते है। एसएसजी कमांडो अत्याधुनिक हथियारों के साथ-साथ हाथ से मुकाबला करने में भी माहिर होते हैं। उनके पास नेविगेशन और विषम परिस्थितियों जीवित रहने के उच्च कौशल क्षमता होती है।
हाशिम मूसा की पहचान उजागर होने के बाद जांच में सामने आया कि पहलगाम आतंकी हमले के साथ-साथ कश्मीर में पहले हुए कई हमलों में भी मूसा की भूमिका रही। वह कश्मीर में अक्तूबर 2024 में गांदरबल के गागनगीर में हुए हमले में शामिल था। इसमें छह गैर-स्थानीय लोग और एक डॉक्टर मारे गए थे। इसके अलावा, बारामूला के बुटा पथरी में हुए हमले में दो सेना के जवान और दो सेना के पोर्टर मारे गए थे। इस हमले में मूसा की भूमिका रही थी।
पहलगाम हमले के बाद से ही भारतीय सेना हाशिम मूसा की तलाश में थी। इस हमले से जुड़े आतंकियों की खोज के दौरान जांच एजेंसियों ने 15 कश्मीरी ओवरग्राउंड वर्कर्स को दबोचा, जिन्होंने आतंकियों के लिए रसद और हमले की जगहों की जासूसी में मदद की थी। इनसे पूछताछ में मूसा के पाकिस्तान कनेक्शन की पुष्टि हुई। साथ ही इनके आईएसआई की तरफ से भेजे जाने का भी खुलासा हुआ था।
26 जुलाई (शनिवार) को श्रीनगर के करीब दाचिगाम इलाके में एक संदिग्ध कम्युनिकेशन सिग्नल डिटेक्ट किया गया था। यह सिग्नल एक सैटेलाइट फोन का था, जिसकी प्रोग्रामिंग चीन के हुवावे डिवाइस की तरह थी। ऐसा ही एक सिग्नल तीन महीने पहले पहलगाम की बायसरन घाटी पर हुए हमले के दौरान भी डिटेक्ट हुआ था। इसके बाद सुरक्षाबलों के कान खड़े हो गए।
जब इन सिग्नल को ट्रैक किया गया तो सुरक्षाबलों को दाचिगाम में आतंकियों की लोकेशन का अंदाजा हो गया। इसके बाद सेना ने अपने निगरानी तंत्र को सक्रिय कर लिया और दाचिगाम के जंगलों में ऑपरेशन चलाने की तैयारी कर ली। पूरे इलाके को घेरने के बाद सुरक्षाबलों ने दाचिगाम में काफी अंदर जाकर आतंकियों को मार गिराया।
मारे गए आतंकियों के शवों को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया है, जो आगे आतंकियों की पहचान के साथ कानूनी औपचारिकताएं पूरी करेगी। इसके बाद एसओपी के तहत इन आतंकियों का अंतिम संस्कार किया जाएगा।