नई दिल्ली : आज से छह साल पहले, 14 फरवरी 2019 को दोपहर करीब 3 बजे, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक ऐसा आतंकी हमला हुआ जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी से सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हमला किया था.
इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस घटना ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में और तनाव बढ़ा दिया था, क्योंकि इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन का हाथ था.
हमले के दिन, जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के काफिले में 78 बसें थीं, जिनमें लगभग 2500 जवान सवार थे. अचानक, पुलवामा जिले के अवंतीपोरा इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने विस्फोटकों से लदी कार को काफिले की एक बस से टकरा दिया. टक्कर होते ही जबरदस्त धमाका हुआ, जिससे बस के परखच्चे उड़ गए. धमाके की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दी और चारों ओर धुआं और मलबा फैल गया.
हमले के तुरंत बाद, घायल जवानों को नजदीकी आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन कई जवानों की मौके पर ही मौत हो गई थी. पूरे देश में इस कायराना हमले को लेकर आक्रोश फैल गया. शहीदों के पार्थिव शरीर को वायुसेना के विशेष विमान से दिल्ली लाया गया, जहां पालम एयरबेस पर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी गई. तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सेना के शीर्ष अधिकारी और अन्य गणमान्य लोग वहां मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले को लेकर गहरा दुख प्रकट किया था और शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी.
इस हमले के ठीक 12 दिन बाद, भारत ने अपने वीर जवानों की शहादत का बदला लिया. 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की. रात करीब 3 बजे, भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार करके जैश के ठिकानों को तबाह कर दिया. इस हमले में करीब 300 आतंकियों के मारे जाने की खबरें आईं. भारतीय वायुसेना ने तकरीबन 1000 किलोग्राम विस्फोटक गिराकर आतंकी शिविरों को नेस्तनाबूद कर दिया था.
हमले के मास्टरमाइंड आदिल अहमद डार और उसके साथियों को जल्द ही सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया. भारतीय सेना, एनआईए (NIA) और खुफिया एजेंसियों ने इस हमले की गहन जांच की. एनआईए ने करीब 13,500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कई आतंकियों के नाम उजागर हुए. इस घटना के बाद दुनिया के कई देशों ने भारत के प्रति सहानुभूति जताई और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन किया.
आज, इस हमले को छह साल हो गए हैं, लेकिन शहीद जवानों की कुर्बानी को देश कभी नहीं भूलेगा. हर साल 14 फरवरी को पूरे भारत में इन वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती है. पुलवामा हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती थी, जिसका जवाब भारत ने मजबूती से दिया. यह दिन हमें उन बहादुर जवानों की याद दिलाता है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए.