राजस्थान : 80 लाख तक का सोना पहनकर मेले में आईं महिलाएं, 363 शहीदों को किया याद

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जोधपुर : भादवा सुदी दशमी के पावन अवसर पर मंगलवार को जोधपुर के खेजड़ली गांव में आयोजित विश्वविख्यात खेजड़ली शहीदी मेला श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम बना। वर्ष 1730 में खेजड़ी वृक्षों की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाली मां अमृता देवी बिश्नोई और 363 शहीदों की स्मृति में आयोजित इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। महिलाओं ने सोने-चांदी के गहनों से सजी धजी पारंपरिक वेशभूषा में उपस्थित होकर इस आयोजन की शोभा और बढ़ा दी।

जानकारी के मुताबिक, मंगलवार सुबह 11 बजे खेजड़ली शहीदी राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान के अध्यक्ष मलखान सिंह बिश्नोई के नेतृत्व में मेले का मुख्य कार्यक्रम शुरू हुआ। इस दौरान देशभर से आए श्रद्धालुओं, साधु-संतों, जनप्रतिनिधियों और पर्यावरण प्रेमियों ने शहीदों को नमन किया।

मेले की पूर्व संध्या पर 363 दीप प्रज्वलित कर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। वहीं, ‘खेजड़ी की बेटी’ और ‘जंभ लीला’ जैसे धार्मिक मंचनों ने सांस्कृतिक रंग बिखेरे और उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया।

आयोजन केवल धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं रहा, बल्कि इसमें समाजसेवा की झलक भी देखने को मिली। बड़े पैमाने पर रक्तदान शिविर, नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच, आयुर्वेदिक परामर्श और नशामुक्ति शिविर आयोजित किए गए। साथ ही युवा सम्मेलन, महिला सम्मेलन और संत समागम ने मेले को और भव्यता प्रदान की, जहां समाज और पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता का संदेश दिया गया।

12 सितंबर 1730 का दिन पर्यावरण संरक्षण के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। जोधपुर नरेश अभयसिंह के आदेश पर खेजड़ी वृक्षों की कटाई का विरोध करते हुए मां अमृता देवी बिश्नोई ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनकी प्रेरणा से 362 अन्य लोगों ने भी वृक्षों की रक्षा के लिए बलिदान दिया। उनका अमर नारा ‘सिर सांठे रूंख रहे तो भी सस्तो जाण’ आज भी पर्यावरण संरक्षण की मिसाल है।

शहीदी मेले में राजनीतिक नेतृत्व की भागीदारी भी देखने को मिली। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने वीडियो संदेश भेजकर श्रद्धांजलि अर्पित की, वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ट्वीट कर शहीदों को नमन किया और मेले की ऐतिहासिक महत्ता बताई।

अमृतादेवी राज्य जीव-जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष जसवंत सिंह बिश्नोई ने बताया कि राजस्थान सरकार ने खेजड़ली को ईको-टूरिज्म के रूप में विकसित करने की पहल की है। इसके तहत यहां मां अमृता देवी की प्रतिमा और 363 शहीदों की नामावली वाला शिलालेख स्थापित किया गया है।

इस मेले का सबसे बड़ा आकर्षण रही महिलाओं की पारंपरिक सजधज। 50 से 80 लाख रुपये के सोने-चांदी के गहनों से सजी महिलाएं जब श्रद्धांजलि देने पहुंचीं तो पूरा वातावरण आभा से भर गया। कई महिलाएं तो कई तोले सोना पहनकर यहां आईं। उनका कहना था कि वे मां अमृता देवी की शहादत को नमन करने और अपने बच्चों को भी बलिदान के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से इस रूप में आती हैं।