नई दिल्ली : चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़ों के आने में देरी पर राजनीतिक दलों की ओर से उठाए जा रहे सवालों से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने एक अहम कदम उठाया है। जिसमें किसी भी मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या अब 1200 से अधिक नहीं रहेंगी।
आयोग ने सभी राज्यों से ऐसे मतदान केंद्रों की पहचान करने और मतदाताओं की संख्या को अधिकतम 1200 तक ही सीमित करने के निर्देश दिए है। आयोग का मानना है कि इससे सभी मतदान केंद्रों पर तय समय के भीतर ही मतदान समाप्त हो जाएगा और सभी के समय पर आंकड़ें भी आ सकेंगे।
आयोग से जुड़े उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो आने वाली बिहार विधानसभा चुनाव में इसे सख्ती से अमल में लाया जाएगा। ताकि चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को लेकर किसी भी तरह का संदेह पैदा न हो सके। आयोग की मानें तो मौजूदा समय में देश में बड़ी संख्या में ऐसे मतदान केंद्र है, जहां मतदाताओं की संख्या 15 सौ या उससे भी अधिक है।
ऐसे में इन मतदान केंद्रों पर तय समय में मतदान अभी पूरा नहीं हो पाता है। समय खत्म हो जाने के बाद भी ऐसे मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती है। आयोग की इस पहल से अब यह समस्या खत्म होगी। साथ ही मतदाताओं को भी लंबी लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा।
मौजूदा समय में देश में साढ़े दस लाख से अधिक मतदान केंद्र है। माना जा रहा है कि आयोग की इस पहल के बाद आने वाले में देश में मतदान केंद्रों की संख्या और बढ़ेगी। आयोग के मुताबिक हाल ही में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के बुलाए गए सम्मेलन में राजनीतिक दलों की ओर से मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़ों को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर लंबी चर्चा की गई।
साथ ही इसके पीछे के कारण को समझा गया। आयोग से जुडे़ अधिकारियों के मुताबिक राज्यों ने इसके पीछे मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की अधिक संख्या होना बताया। इसके बाद ही आयोग ने यह निर्देश दिए है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने इसे लेकर सबसे अधिक सवाल खड़े किए थे। जिसमें मतदान खत्म होने के बाद और मतदान के अंतिम आंकड़ों के बीच बड़े अंतर को लेकर संदेह भी जताया था। आयोग से इसको लेकर शिकायत भी की।