शिमला : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की कोटखाई शाखा में करेंसी चेस्ट से 75 लाख रुपये गायब होने का मामला सामने आया है। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (विजिलेंस) ने बैंक की शिकायत और प्रारंभिक जांच के आधार पर चेस्ट के वर्तमान और पूर्व संयुक्त संरक्षकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। मामले की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट (एसआईयू) कर रही है।
एसबीआई आरबीओ-7 शिमला के क्षेत्रीय प्रबंधक वेद प्रकाश की ओर से दर्ज एफआईआर में तत्कालीन सेवा प्रबंधक आशुतोष कुमार चंद्रवंशी, वर्तमान सेवा प्रबंधक सुभाष पाल और रोकड़ अधिकारी दीपक कुमार पर धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार का आरोप है।
मामला उस समय सामने आया जब 6 अगस्त, 2025 को बैंक शाखा में नियमित द्विमासिक मुद्रा सत्यापन के दौरान अधिकारियों ने पाया कि 75 लाख मूल्य के 500 रुपये के नोटों के 15 बंडल गायब पाए गए। इससे बैंक प्रबंधन और जांच अधिकारियों में हड़कंप मच गया। गहनता से जांच करने पर बैंक के सिस्टम रिकॉर्ड और रजिस्टर में कोई विसंगति नहीं पाई गई।
अधिकारियों को जानबूझकर की गई हेराफेरी को लेकर शक हुआ। 7 अगस्त को क्षेत्रीय व्यवसाय कार्यालय (आरबीओ) से एक सत्यापन दल को भेजा। संचालन और (डीएंडवीएएस) के मुख्य प्रबंधकों की ओर से मामले की विस्तृत जांच की गई।
अधिकारियों की जांच में भी कोई सिस्टम या प्रेषण त्रुटि नहीं पाई गई। बैंक प्रबंधन के मुताबिक तत्कालीन सेवा प्रबंधक आशुतोष कुमार चंद्रवंशी धन की गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि सुभाष पाल और दीपक कुमार दोनों अपनी संरक्षकीय जिम्मेदारियों को निभाने में असफल रहे हैं। विजिलेंस ने शिकायत के आधार पर केस दर्जकर मामले की जांच शुरू की।
विजिलेंस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 314, 316 (2), 318 (4), 344 और 61(2) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 13(1)(ए) सहपठित 13 (2) के तहत केस दर्जकर कार्रवाई शुरू कर दी है। एसबीआई ने घटना को विश्वासघात और सार्वजनिक धन का गबन करार दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि करेंसी चेस्ट की सुरक्षा उसके संरक्षकों का प्रमुख कर्तव्य है।