धनबाद : कैसे चमकेगा देश का भविष्य! जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र

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धनबाद : जिला प्रशासन द्वारा वर्षों से कई सरकारी भवनों का निर्माण किया गया है, लेकिन इनमें से अनेक भवन आज भी बिना उपयोग के खाली पड़े हैं। कुछ तो अब खंडहर में तब्दील होने लगे हैं। दूसरी ओर, जहां स्कूल भवनों की सख्त जरूरत है, वहां शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण बच्चे जर्जर और खतरनाक इमारतों में पढ़ने को मजबूर हैं।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां शहर के हीरापुर स्थित मध्य विद्यालय-नगरपालिका की हालत इतनी बदतर है कि बारिश में छत टपकती हैं और दीवारों पर सीलन का साम्राज्य है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसी कमरे को बिना मरम्मत के स्मार्ट क्लासरूम में बदला जा रहा है।

सीलन भरी दीवारों पर वायरिंग और पेंटिंग कर कीमती उपकरण लगाए जा रहे हैं, जिससे बच्चों और शिक्षकों की जान को भी खतरा है। स्कूल में कुल पांच कमरे हैं और 204 छात्रों को उसी में किसी तरह समेटा गया है। बरसात में पूरा कमरा पानी से भर जाता है, ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ाई करें। जगह की कमी के कारण कई कक्षाएं खुले मैदान में जमीन पर बैठकर चलती हैं। एक ही कमरे में दो-दो क्लासेस लगाई जाती हैं, जिससे बच्चों की एकाग्रता और पढ़ाई की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

स्कूल का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। छत से प्लास्टर गिरता है, दीवारों में दरारें हैं, और सीढ़ियों पर काई जमी है, जिससे फिसलने का खतरा बना रहता है। शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि खासकर छात्राओं को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।

कई दिनों से सफाई नहीं होने के कारण बदबू और गंदगी का माहौल है। पीने का स्वच्छ पानी तक स्कूल में उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद प्रशासन और शिक्षा विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं, और हर साल मरम्मत की मांग केवल फाइलों तक सीमित रह जाती है। अभिभावकों का कहना है कि यह प्रशासनिक लापरवाही बच्चों के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ है।