कानपुर : कानपुर में कोतवाली क्षेत्र से बच्चा उठाने की प्लानिंग करीब पांच महीने पहले कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय में बनी थी। यहीं पर अपहरणकर्ता जूली रानी कुशवाहा और उन्नाव के रामनगर निवासी रेशमा बेगम की मुलाकात हुई थी। रेशमा संतान न होने पर डॉक्टर को दिखाने अस्पताल आई थी। अस्पताल में ही जूली की बहन एंबुलेंस सेवा 108 में काम करती है।
मुलाकात होने पर जूली ने उसे बच्चा दिलाने का आश्वासन दिया था। डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि रेशमा का पति इंतखाब आलम बिहार में प्राइवेट नौकरी करता है। रेशमा उन्नाव में अकेली रहती है। जूली रानी कुशवाहा और अहिरवां के वैभव सिंह दोनों बच्चों को चॉकलेट खिलाने और घुमाने के बहाने सफेद रंग की स्कूटी से ले गए।
छह साल के बच्चे को बाजार में छोड़ दिया, जबकि डेढ़ साल के मासूम को गंगा बैराज के रास्ते उन्नाव ले जाकर रेशमा को दे दिया। पुलिस की जांच में शिवराजपुर के नजदीक सीसीटीवी कैमरे और वहीं के एक पेट्रोल पंप पर बच्चों के साथ आरोपियों की फुटेज कैद हुई है। स्कूटी जूली के भाई की थी, जो उनसे मांग कर ले गई थी।
कोतवाली इंस्पेक्टर ने बताया कि जूली के पास से 47 हजार रुपये बरामद हुए हैं। बाकी के रुपये अकाउंट में डलवाए थे। कुछ रुपये वैभव सिंह के पास होने की संभावना है। गिरोह में कुछ और लोग भी शामिल हो सकते हैं, इसकी जांच कराई जा रही है। साथ ही हाल ही में गुमशुदा हुए छोटे बच्चों के संबंध में पूछताछ की जा रही है। यह बच्चा चोर गैंग के सदस्य हो सकते हैं।
एडीसीपी पूर्वी अंजलि विश्वकर्मा के मुताबिक आरोपी पुलिस को गुमराह करने के लिए शिवराजपुर तक गए। वहां पहचान छिपाने के लिए दोनों बच्चों को शिवराजपुर बाजार से कपड़े दिलाए थे और बड़े बच्चे को छोड़कर रात में ही उन्नाव गए। आरोपियों पर अपहरण की धाराएं लगाई गई हैं। जांच के आधार पर आगे और भी धाराएं बढ़ाई जाएंगीं।
कोतवाली क्षेत्र में इसी साल जनवरी में छह माह की बच्ची को चमनगंज की महिला ले गई थी। कैमरों की फुटेज के आधार पर उसको गिरफ्तार किया गया। बच्ची की मां आधार कार्ड सही कराने पोस्ट ऑफिस आई थी। यहीं पर आरोपी महिला ने उन्हें लाइन में लगने की बात कहकर बच्ची ले ली थी। आरोपी महिला ने अपने भाई के लिए बच्ची को अगवा किया था।