चंडीगढ़ : हरियाणा पुलिस की साइबर यूनिट ने पानीपत जिले में साइबर ठगों के म्यूल अकाउंट्स और फर्जी कंपनियों के माध्यम से किए जा रहे बड़े वित्तीय अपराध का भंडाफोड़ किया है। जांच में खुलासा हुआ कि दो फर्जी कंपनियों के जरिये करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन किया जा रहा था।
जांच में ट्रू आर्टिफिशियल ज्वेल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी पूरी तरह फर्जी निकली। इसने बैंक ऑफ इंडिया की पानीपत शाखा में खाता खोलकर केवल सात महीने में 51.82 करोड़ रुपये का लेन-देन किया।
खास बात यह है कि खाते से 51.79 करोड़ रुपये पहले ही निकाले जा चुके थे और मात्र 3.13 लाख रुपये ही शेष मिले। कंपनी का पता और निदेशक मंडल की जानकारी भी फर्जी पाई गई। मौके पर कोई वास्तविक कंपनी मौजूद नहीं पाई गई। साफ है कि यह कंपनी महज धोखाधड़ी और अवैध धन का माध्यम थी।
इसी क्रम में एक और कंपनी इंडो कैरियर एजेंसी का भंडाफोड़ हुआ। इस कंपनी के खाते में 24 दिसंबर 2024 से 27 अगस्त 2025 तक 32.92 लाख रुपये जमा हुए, जिनमें से 31.70 लाख रुपये पहले ही निकाल लिए गए थे और केवल 1.21 लाख रुपये खाते में बचे। इस कंपनी का पता भी फर्जी निकला और मौके पर कोई कंपनी नहीं पाई गई।
जांच के दौरान जिन संदिग्ध व्यक्तियों के नाम सामने आए, उनमें प्रमोद कुमार, धर्मेंद्र कुमार, निशांत और सनी कुमार शामिल हैं। पुलिस का मानना है कि इन खातों और कंपनियों के पीछे एक सुनियोजित आपराधिक षड्यंत्र है, जिसका मकसद ठगी की रकम को तुरंत निकालकर कानून की पकड़ से बचना था।
हरियाणा पुलिस ने राज्यभर में व्यापक जांच कर ऐसी 91 बैंक शाखाओं की पहचान की है जहां संदेह है कि साइबर अपराधियों के म्यूल अकाउंट्स संचालित हो रहे हैं और इनके जरिये बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के लेन-देन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पानीपत जिला में 4 संदिग्ध बैंक शाखाओं की पहचान की गई है। पुलिस ने इन शाखाओं को चिन्हित कर चरणबद्ध तरीके से सत्यापन, निरीक्षण और कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
साइबर अपराध शाखा की विशेष टीमें इन 91 शाखाओं के रिकॉर्ड की गहन जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं बैंक कर्मचारियों की लापरवाही या मिलीभगत से साइबर अपराधियों को फायदा तो नहीं मिला। टीम केवाईसी (नो योर कस्टमर) मानकों की अनदेखी, खाता खोलने में प्रक्रियागत खामियां और बैंक स्टाफ की भूमिका का विश्लेषण कर रही है। इस अभियान की निरंतरता में पुलिस ने करनाल और यमुनानगर जिलों की संदिग्ध शाखाओं पर छापेमारी की, जहाँ बैंक रिकॉर्ड खंगाले गए और कई खातों की गहन जांच की गई।
हरियाणा पुलिस की साइबर यूनिट पहले भी कई बड़े म्यूल अकाउंट रैकेट्स का पर्दाफाश कर चुकी है और करोड़ों रुपये पीड़ितों को वापस दिला चुकी है। यह कार्रवाई उसी सिलसिले की एक और महत्वपूर्ण कड़ी है, जो हरियाणा को साइबर अपराध के खिलाफ एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित कर रही है। पुलिस की रणनीति सिर्फ अपराधियों को पकड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे अपराधों की रोकथाम, जनता को जागरूक करने और वित्तीय संस्थानों की जिम्मेदारी तय करने पर भी केंद्रित है।
डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने दोहराया कि ऐसी कार्रवाई साइबर अपराधियों के लिए स्पष्ट संदेश हैं कि अब वे किसी भी फर्जी पहचान, म्यूल अकाउंट या शेल कंपनी का सहारा लेकर बच नहीं पाएंगे। हरियाणा पुलिस पूरे संकल्प और तत्परता के साथ अपराधियों का पीछा करेगी और उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा करेगी।
वहीं, हरियाणा पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध बैंक खाता, फर्जी कंपनी या अवैध लेन-देन की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर दें। पुलिस का कहना है कि समय पर दी गई जानकारी न केवल लोगों की मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकती है, बल्कि अपराधियों को कानून के शिकंजे में लाने में भी मददगार साबित हो सकती है।